नई दिल्ली. केंद्र की बीजेपी सरकार और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के रिश्ते में खटास पैदा हो गई है. इसके चलते मोदी कैबिनेट में शामिल टीडीपी के दो मंत्री (अशोक गजपति राजू और वाई. एस. चौधरी) जल्द इस्तीफा दे सकते हैं. इसका बड़ा कारण आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने से इनकार करने का बताया जा रहा है. बीते दिनों आंध्र प्रदेश के विपणन मंत्री सी आदि नारायण रेड्डी ने भी कहा था कि केंद्र सरकार ने अगर राज्य पुनर्गठन अधिनियम को लेकर अपने वादे को पूरा नहीं किया तो तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के दोनों केंद्रीय मंत्री मार्च के पहले सप्ताह में अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
तो क्या बीजेपी भी चाहती है टीडीपी से अलगाव
उधर, दिल्ली के बीजेपी सूत्रों ने बताया कि पार्टी भी इस अलगाव के लिए तैयार है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘पार्टी आंध्र प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमने राज्य सरकार की हर मुमकिन मदद की है. लेकिन हम उनकी ऐसी मांगों को नहीं मान सकते, जो नामुमकिन हो. हम पिछड़ेपन के आधार पर विशेष दर्जा नहीं दे सकते, क्योंकि इस आधार पर तो सबसे पहले बिहार को विशेष दर्जा देने पर विचार करना चाहिए.’ एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा, ‘अब वे टैक्स में छूट की मांग कर रहे हैं और हम किसी एक राज्य के लिए ऐसा नहीं कर सकते.’ बीजेपी नेता का इशारा हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ टीडीपी सांसदों की मुलाकात की तरफ था. माना जा रहा था कि उस मुलाकात के बाद रिश्तों में तनाव खत्म होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
आज विशेष राज्य के विषय में बयान दे सकते हैं चन्द्रबाबू नायडू
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख एन. चन्द्रबाबू नायडू बुधवार को राज्य विधानसभा में विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर बयान दे सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को हुई बैठक में नायडू ने अपने विधायकों से कहा कि वे आंध्र प्रदेश के साथ बीजेपी द्वारा की जा रही ‘नाइंसाफी’ की पोल खोलें. नायडू ने कहा, ‘आंध्र प्रदेश के लोगों ने खुद से धोखा के लिए कांग्रेस को छोड़ दिया और बीजेपी को यह बात याद रखनी चाहिए. केंद्र की सरकार आंध्रप्रदेश का मजाक बना रही है, वे इस मुद्दे पर बुधवार को रुख साफ करेंगे.’
मंगलवार को टीडीपी और शिवसेना ने भी किया सदन में प्रदर्शन
मंगलवार को संसद सत्र शुरू होते ही कांग्रेस ने पीएनबी घोटाले को लेकर सदन के भीतर और बाहर प्रदर्शन किया. साथ ही टीडीपा और शिवसेना ने भी बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन किया जिसके चलेत सदन की कार्यवाही को रोकना पड़ा. इससे पहले शिवसेना के सांसद मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग कर रहे थे. इसके साथ ही अन्नाद्रमुक के सदस्य कावेरी प्रबंधन बोर्ड गठित करने की मांग कर रहे थे, उधर तेलुगू देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य आंध्रप्रदेश को वित्तीय पैकेज देने और तेलंगाना राष्ट्र समिति के सदस्य तेलंगाना में आरक्षण का कोटा बढ़ाये जाने की मांग को लेकर शोरशराबा करने लगे. ये सभी सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप इकट्ठा होकर जोर-जोर से नारेबाजी करने लगे. इसके चलते सदन की कार्यवाही को रोकना पड़ा.