आम आदमी पार्टी (आप) ने अज्ञात स्रोतों से सियासी पार्टियों को मिलने वाले चंदे पर सवाल उठाया है। पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार अगर हकीकत में इस दिशा में काम करना चाहती है तो इसके लिए दो दिन का वक्त ही काफी है। आप का कहना है कि अगर पार्टियां नकदी में चंदा लेना बंद कर दें तो इससे अज्ञात स्रोतों से मिलने वाला चंदा तुरंत खत्म हो जाएगा। पार्टी कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए आप नेता आशीष खेतान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों सभी पार्टियों के साथ हुई बैठक में सलाह दी थी कि राजनीतिक पार्टियों को होने वाली फंडिंग में पारदर्शिता लानी चाहिए।
लेकिन बैठक में इस मसले पर कोई चर्चा तक नहीं हुई। खेतान ने कहा कि मोदी सरकार अगर चुनावों में काले धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए संजीदा है तो इसमें सिर्फ दो दिन का समय लगेगा।
लेकिन बैठक में इस मसले पर कोई चर्चा तक नहीं हुई। खेतान ने कहा कि मोदी सरकार अगर चुनावों में काले धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए संजीदा है तो इसमें सिर्फ दो दिन का समय लगेगा।
आशीष खेतान ने बताया कि आज सभी पार्टियों को 20,000 से नीचे के चंदे का ब्योरा देने की जरूरत नहीं है। खुद भाजपा को 2004 से 15 के बीच अकेले तीन चौथाई चंदा इस सीमा के भीतर मिला है।
दूसरी तरफ चुनाव में पार्टियों की तरफ से होने वाले खर्च की कोई सीमा नहीं है। इसी खामी से चुनावों में बड़े पैमाने पर खर्च होता है। खेतान ने आरोप लगाया कि विदेशी नियमन चंदा अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पार्टियों को किसी तरह की विदेशी फंडिंग नहीं हो सकती।
लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने मिलकर इस नियम को बदल दिया और बड़े पैमाने पर विदेशी कंपनी से चंदा लिया। पार्टी ने चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल रोकने के लिये चार मांगे रखी हैं।
आप की मांग उठाई है कि एफसीआरए के नियम में किये गये बदलाव को रद्द किया जाए। जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव किया जाए। इसमें प्रावधान हो कि सभी पार्टियां कैशलेश चंदा लें। सभी पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाया जाए।
दूसरी तरफ चुनाव में पार्टियों की तरफ से होने वाले खर्च की कोई सीमा नहीं है। इसी खामी से चुनावों में बड़े पैमाने पर खर्च होता है। खेतान ने आरोप लगाया कि विदेशी नियमन चंदा अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पार्टियों को किसी तरह की विदेशी फंडिंग नहीं हो सकती।
लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने मिलकर इस नियम को बदल दिया और बड़े पैमाने पर विदेशी कंपनी से चंदा लिया। पार्टी ने चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल रोकने के लिये चार मांगे रखी हैं।
आप की मांग उठाई है कि एफसीआरए के नियम में किये गये बदलाव को रद्द किया जाए। जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव किया जाए। इसमें प्रावधान हो कि सभी पार्टियां कैशलेश चंदा लें। सभी पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाया जाए।
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