64 वर्षीय भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है। इसे मोदी सरकार के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।

इस मामले में ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में उसकी याचिका खारिज हो गई है। उसने सु्प्रीम कोर्ट में आवेदन का हक खो दिया है। वह सुप्रीम कोर्ट में अर्जी नहीं दायर कर सकता है।
उसे अगले 28 दिनों में भारत को सौंपा जा सकता है। माना जा रहा है कि विजय माल्या के पास अब कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा है।
बताया जा रहा है कि ब्रिटेन के गृह सचिव को माल्या के प्रत्यर्पण के कागज पर 28 दिन में हस्ताक्षर करना होगा। इसके बाद ब्रिटेन का गृह विभाग भारत के अफसरों के साथ माल्या के प्रत्यर्पण के बारे में समन्वय करेगा। बता दें कि ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने पिछले महीने विजय माल्या की प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि भगोड़े कारोबारी माल्या पर करीब 9,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। माल्या को भारत में भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है।
उनको भारत की एजेंसियां काफी समय से तलाश कर रही हैं। वह काफी समय में लंदन में है। इस महीने की शुरुआत में शराब कारोबारी ने ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में भारत में प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी।
वह अर्जी भी खारिज हो गई है। इससे पहले लंदन आई कोर्ट में उसकी याचिका खारिज हो गई थी। लंदन की एक अदालत ने लोन न चुकाने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश सुनाया था।
इससे पहले विजय माल्या ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा था कि सरकार को कोविड-19 के राहत पैकेज के लिए बधाई। वे जितनी चाहें उतनी नकदी छाप सकते हैं, लेकिन क्या उन्हें मेरे जैसे एक छोटे सहयोगकर्ता की अनदेखी करनी चाहिए, जो सरकारी बैंकों का सारा बकाया पैसा वापस लौटाना चाहता है। माल्या ने कहा कि सरकार उसके पैसे को बिना शर्त ले ले और मामले को बंद कर दे।
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