2019 के आम चुनाव से पहले राष्ट्रपति चुनाव को विपक्षी दल एकजुटता का बड़ा मौका मान रहे थे. यही कारण है कि पिछले दो महीने से विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार उतारने की कोशिशों को लेकर सियासी मुलाकात जारी थी. राष्ट्रपति चुनाव को विपक्ष की ओर से 2019 में महागठबंधन बनाने की पहली परीक्षा मानी जा रही थी. लेकिन सोमवार को बीजेपी ने रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का ऐलान क्या किया एकजुट होने से पहले ही विपक्ष बिखरने लगा. मोदी के इस मास्टरस्ट्रोक से न केवल राष्ट्रीय महागठबंधन की संभावना बल्कि बिहार में मौजूदा महागठबंधन में दरार पड़ सकती है.
विपक्षी दलों ने 22 जून को राष्ट्रपति चुनाव के लिए साझे उम्मीदवार पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई है. उससे पहले ही कई गैर एनडीए दलों ने रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. टीआरएस, एआईएडीएमके, बीजेपी के बाद अब नीतीश भी रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के मूड में दिख रहे हैं. रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल हैं और नीतीश के साथ उनके बेहतर रिश्ते रहे हैं. नीतीश ने रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का स्वागत किया.
सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार ने आरजेडी चीफ लालू प्रसाद और कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी से इस मामले पर बात भी की है और रामनाथ कोविंद के नाम पर विरोध करने में अपनी असमर्थता जताई है. हालांकि, इस बारे में अभी आधिकारिक रूप से पार्टी ने रुख साफ नहीं किया है. सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार ने बुधवार को पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है. इसके बाद समर्थन का आधिकारिक ऐलान किया जा सकता है.
एनडीए के पक्ष में कैसे है समीकरण
कोविंद के नाम के ऐलान की एकतरफा फैसला अगर बीजेपी ने किया है तो उसके पीछे वर्तमान समीकरणों का सीधा हाथ है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए अगर इलेक्टोरल कॉलेज पर नजर डालें तो 57.85% समीकरण सत्ताधारी एनडीए के पक्ष में दिख रहे हैं. ऐसे में अगर विपक्ष अपना उम्मीदवार उतारता भी है तो जीत की संभावना कम ही है.
क्या है नंबर गेम
राष्ट्रपति चुनाव के लिए अगर इलेक्टोरल कॉलेज में एनडीए के पक्ष में है 5,37,683 जो कि कुल का 48.93% पड़ता है. लेकिन टीआरएस, एआईएडीएमके, वाईएसआर कांग्रेस ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है तो अब एनडीए के पक्ष में कुल 57.85% वोट हो जाते हैं.
ओडिशा के सीएम और बीजेडी चीफ नवीन पटनायक ने सोमवार शाम रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी के समर्थन का ऐलान किया. इससे एनडीए के पक्ष में 2.99% की और वृद्धि हो गई. हालांकि, विपक्ष की ओर से मीरा कुमार समेत कई नामों पर चर्चा की अटकलें हैं लेकिन यूपी के दो दलों बसपा और सपा के लिए कोविंद का विरोध करना मुश्किल हो सकता है. क्योंकि रामनाथ कोविंद दलित समुदाय से आते हैं. बीजेपी के लिए उनकी उम्मीदवारी मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकती है.
यूपी के दलों के लिए विरोध मुश्किल
सपा और बसपा की ओर से कोविंद की उम्मीदवारी पर ठोस विरोध सामने नहीं आया है. 2019 चुनाव से पहले दलित उम्मीदवार का विरोध करता कोई भी दल नहीं दिखना चाहेगा. वहीं जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार का रुख भी कोविंद की उम्मीदवारी पर नरम दिख रहा है. रामनाथ कोविंद अभी बिहार के राज्यपाल हैं और नीतीश कुमार के साथ उनके अच्छे तालुक्कात रहे हैं. नीतीश कुमार ने कोविंद की उम्मीदवारी का स्वागत किया है हालांकि, समर्थन के मामले पर विपक्ष की बैठक के बाद फैसले की बात भी कही है.
विपक्ष की ओर से ये 4 नाम चर्चा में
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है. वाम दलों में सूत्रों ने सोमवार की रात यह बात कही. गैर-एनडीए दलों के 22 जून को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी और कुछ अन्य नामों पर विपक्षी पार्टियां विचार कर रही हैं.