चीनी उत्पादों के बहिष्कार की उठ रही आवाज़ों के बीच इसमें अब डालमिया ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के चेयरमैन संजय डालमिया का साथ भी मिल चुका है. जाने-माने उद्योगपति संजय डालमिया ने कहा है कि वो अब ख़ुद चीन में बने सामानों का इस्तेमाल नहीं करेंगे.
चीन की गड़बड़ियों की तरफ़ इशारे करते हुए संजय डालमिया ने कहा हम क्यों उनका सामान इस्तेमाल करें जो हमारे देश को नुक़सान पहुंचाना चाहता हो. उन्होंने चीन की हरकत के लिए उसे सबक सिखाने की वकालत की और कहा कि इससे विश्व में एक संदेश जाएगा कि जो भारत के खिलाफ़ कदम उठाएगा उसे एक बड़े बाज़ार से हाथ धोना पड़ेगा.
इतिहास को याद करते हुए संजय डालमिया ने कहा कि हमने इसी तरह अंग्रेजों को भी घुटने पर ला दिया था. डालमिया चीन तक ही नहीं रूके बल्कि पाकिस्तान के सामान के बहिष्कार की भी वकालत की. संजय डालमिया की पैदाइश पाकिस्तान के लाहौर शहर में हुई है.
संजय डालमिया ने अपील की है कि चीन में बने उत्पादों की जानकारी समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, टेलीवीज़न चैनलों पर दी जाए ताकि लोगों को पता चल सके कि कौन सा सामान चीन का है. इंटरव्यू में भूतपूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा कि ऐसा करने से हो सकता है कि हमारी 100 % ज़रूरतों की पूर्ती ना हो लेकिन हम अपनी 70 % ज़रूरतें पूरी कर सकते है.
इस मुहिम की शुरूआत शिक्षीविद सोनम वांगचुक ने शुरू की है. मेड इन चाइना सामान का बहिष्कार करते हुए सोनम वांगचुक ने कहा था कि ऐसा करने से चीन की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा. इस मुहिम को देश भर में समर्थन मिलने की उमीद है.
मालूम हो कि चीन के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर इंडस्ट्री के लिए भारत एक बड़ा बाज़ार है. लोगों की नाराज़ी चीन से फैले कोरोना को लेकर तो थी, रही सही कसर लद्दाख में चीनी सैनिकों की हरकत ने पूरी कर दी.
इससे पहले भी 2017 में डोकलाम की घटना के बाद बड़े पैमाने पर चीनी सामान के बहिष्कार की बात उठी थी. लोगों का रूझान चीनी सामानों की तरफ़ इसलिए भी रहा है कि दूसरे के मुकाबले वो सस्ते दामों पर उपलब्ध होते हैं हांलांकि गारंटी के मामले में भरोसा कम पाया गया है.
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