लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के रिवाइवल की गुंजाइश कम लग रही है। जेट को संकट से उबारने के लिए कंपनी को बैंकों का कर्ज, कर्मचारियों की सैलरी और वेंडर और लीजिंग कंपनियों का बकाया चुकाना होगा, जो बेहद मुश्किल है।
नए प्रमोटर को लगाने होंगे 10,000 करोड़ रुपये
इस संदर्भ में एयर इंडिया के पूर्व ईडी और एविएशन एक्सपर्ट जितेंद्र भार्गव ने बताया कि, ‘जेट को बचाने के लिए नए प्रमोटर को तत्काल 10,000 करोड़ लगाने होंगे। इसके साथ ही बैंक को भी 8,500 करोड़ के कर्ज में से आधा कर्ज माफ करना होगा।’
यदि कंपनी को कोई नया प्रमोटर मिल भी जाता है, तो भी रिवाइव करने में कम से कम तीन महीने लगेंगे। बता दें कि जेट को यात्रियों के 360 करोड़ रुपए लौटाने हैं।
दूसरी एयरलाइंस को लीज पर दिए जा रहे हैं जेट के विमान
जेट एयरवेज के विमान ने अंतिम उड़ान 17 अप्रैल को रात 10.30 बजे अमृतसर के हवाई अड्डे से मुंबई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी थी। अब सरकार जेट के स्लॉट दूसरी एयरलाइंस को दे रही है। एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट को जेट के विमान लीज पर दिए जा रहे हैं।
जेट के एक डायरेक्टर ने कहा कि दूसरी एयरलाइंस को स्लॉट अस्थायी रूप से दिए जा रहे हैं। वहीं एविएशन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने कहा था कि, ‘जेट के 440 स्लॉट दूसरी एयरलाइंस को दिए जाएंगे। ये स्लॉट पहले 3 माह के लिए मिलेंगे। उसके बाद इन्हें एक-एक महीने के लिए बढ़ाया जाएगा।’
कर्मचारी कर रहे विरोध
जेट के 440 स्लॉट दूसरी एयरलाइंस को देने का कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। जेट के कर्मचारियों ने एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए से आग्रह भी किया है कि जेट की नीलामी तक इसके स्लॉट दूसरी एयरलाइंस को न दिए जाएं।
इसके साथ ही कर्मचारियों ने कहा कि अगर इसे रोका नहीं गया तो वे कोर्ट जाएंगे।