लखनऊ: ऐन यूपी चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में मचे धमासान के बीच अखिलेश यादव सबसे ताकतवर समाजवादी नेता बन कर उभरे हैं। शनिवार के दिन जो भतीजा अपने चाचा और पिता के सामने से साइकिल लेकर भाग गया था, रविवार को उसने अपनी साइकिल में ताला भी ठोंक दिया।
चाणक्य की भूमिका में मुलायम
हालांकि अगर गौर से देखा जाए तो इस पूरे ड्रामे के पीछे समाजवादी पार्टी के पितामय हो चुके मुलायम सिंह यादव की चाणक्य नीति या फिर कहे कि सोची समझी चाल मानी जा रही है।
मुलायम इस पूरे घटनाक्रम के जरिए न सिर्फ अखिलेश यादव को मानवीय संवेदनाओं के साथ मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। बल्कि, उनकी हसरत अपनी उस इच्छा को पूरी करने की भी है जो बरसो से उनके दिल में टीस बन कर बैठी हुई है।
अखिलेश पूरा करेंगे नेता जी का सपना
दरअसल, देखा जाए तो पार्टी में बगावत अखिलेश नहीं कर रहे हैं। बल्कि अपनों की कुर्बानियां मुलायम सिंह यादव खुद ले रहे हैं। वास्तव में मुलायम की नज़रें अब यूपी चुनाव और यहां की राजनीति पर भी नहीं हैं। वो सिर्फ केन्द्र की उस कुर्सी पर नज़रें गड़ाएं हैं जिस पर नरेन्द्र मोदी बैठे हुए हैं।
टीपू बनेंगे सुल्तान
मुलायम ने इस पूरे घटनाक्रम के ज़रिए ये संदेश देने की कोशिश की है कि उन्होंने अपनी पार्टी से अगले प्रधानमंत्री पद के लिए अखिलेश का नाम फाइनल कर दिया है। यानी मुलायम ने अगले पीएम के लिए अपनी पार्टी में बीज बो दिया है और इस पौधे को ताकतवर बनाने के लिए सिंचाई भी वो खुद ही कर रहे हैं। मुलायम के इरादे अटल हैं और इसके लिए उन्हें अपने ही यदुवंश में किसी की भी कुर्बानी देनी पड़े तो वो पीछे नहीं हटेंगे।
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