मुझे अपने ट्रांसफर को लेकर कभी कोई दिक्कत नहीं हुई: हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस मुरलीधर

पिछले दिनों दिल्ली हिंसा पर सुनवाई के दौरान पुलिस को फटकार लगाकर चर्चा में आए हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस मुरलीधर को गुरुवार को शानदार विदाई दी गई.

अपने विदाई भाषण में उन्होंने कहा कि मुझे अपने ट्रांसफर को लेकर कोई दिक्कत नहीं थी और कॉलेजियम को तबादला किए जाने की सूरत में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट भेजे जाने की बात कही थी.

जस्टिस मुरलीधर को फेयरवेल देने के लिए कल हाईकोर्ट में एक समारोह का आयोजन किया गया रखा गया था. इस समारोह में बड़ी संख्या में वकील भी पहुंचे. समारोह में इतने लोग एकत्र हो गए कि बैठने की जगह तक नहीं बची और लोगों को सीढ़ियों और छतों पर खड़ा होना पड़ा.

दिल्ली हाईकोर्ट से विदा हुए न्यायाधीश जस्टिस मुरलीधर ने कोर्ट के वकीलों और न्यायाधीशों को अपने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में तबादले के घटनाक्रम के संबंध में जानकारी देते हुए कहा, ‘मुझे 17 फरवरी को इसके बारे में (ट्रांसफर को लेकर) सूचित किया गया था और इससे कोई समस्या नहीं थी. कॉलेजियम द्वारा मेरे तबादले की सिफारिश को लेकर चीफ जस्टिस एसए बोबडे से मुझे 17 फरवरी को एक संदेश प्राप्त हुआ था.’

इसे स्वीकार करते हुए जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि उन्होंने अपने जवाब में कहा था कि यदि उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से स्थानांतरित किया जाता है तो उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट जाने में कोई आपत्ति नहीं है.

हाईकोर्ट के मुख्य भवन में आयोजित अपनी विदाई समारोह में जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि जब न्याय को जीतना होता है तो वह जीतता ही है. तबादले के बाद भी संपर्क में रहने के लिए जस्टिस एस मुरलीधर ने दिल्ली हाईकोर्ट के जजों और वकीलों की तारीफ करते हुए कहा कि अपने तबादले पर उन्हें कोई परेशानी नहीं है. जब न्याय को जीतना होता है तो वो जरूर जीतता है… सच के साथ रहिए, न्याय जरूर मिलेगा.

जस्टिस एस मुरलीधर ने दिल्‍ली हाईकोर्ट में करीब 14 साल सेवा दी. अपने विदाई भाषण में खुद के कानून से जुड़ने के वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि कानून के साथ उनका रिश्ता संयोगवश ही हुआ था.

युवावस्था के दौर में जब वह क्रिकेट खेला करते थे तो उनका एक दोस्त था और वह उनके घर जाया करते थे. इस दौरान वह अपने दोस्त के पिता की अलमारियों में रखी साफसुथरी बाइंड की हुई कानून की मोटी रपटों से काफी प्रभावित हुआ करते थे.

उन्होंने कहा कि जब उनके दोस्त ने बताया कि वह कानून की पढ़ाई के लिए आवेदन करने जा रहा है, तो उन्होंने भी एमएससी करने के बजाय कानून की पढ़ाई करने का फैसला किया.

इस दौरान जस्ट‌िस मुरलीधर ने बताया कि कैसे उन्होंने पूर्व अटॉर्नी जनरल जी रामास्वामी के चैंबर में जूनियर वकील के रूप में अपनी प्रै‌क्टिस की शुरू की. उन्होंने जी रामास्वामी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वह कुशाग्र दिमाग के व्यक्ति थे.

26 फरवरी को कानून एवं न्याय मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला किए जाने को अधिसूचित किया.

मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘राष्ट्रपति ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे से परामर्श के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला किया है और उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस के तौर पर कार्यभार संभालने का निर्देश दिया है.’

हालांकि इस तबादले से विवाद खड़ा हो गया क्योंकि इसी दिन जस्टिस मुरलीधर की अध्यक्षता में दिल्ली हाईकोर्ट की एक पीठ ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हिंसा के संदर्भ में कई आदेश पारित किया और कहा कि 1984 जैसी दूसरी स्थिति शहर में पैदा होने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने दिल्ली हिंसा पर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई गई थी. ये फटकार भड़काऊ बयान देने वाले बीजेपी नेताओं पर केस दर्ज करने में पुलिस की नाकामी पर लगाई गई थी.

जस्टिस मुरलीधर ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के अस्पतालों में फंसे मरीजों को राहत प्रदान करते हुए दिल्ली पुलिस को उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आदेश दिया था. तबादले पर कांग्रेस समेत कई दलों ने मोदी सरकार की आलोचना की थी.

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