मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा- हिन्दी को बोलने, लिखने और पढ़ने में हमे गर्व होना चाहिए, तो…

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हिन्दी अत्यंत समृद्ध भाषा है। इसके प्रति संकीर्णता ठीक नहीं है। हिन्दी छोड़कर अंग्रेजी बोलना मानसिक गुलामी है। उन्होंने कहा कि हिन्दी बोलने, लिखने और पढ़ने में गर्व होना चाहिए। हिन्दी का मान-सम्मान बढ़ाने के लिये समाज को भी आगे आना होगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज यहां समन्वय भवन में हिन्दी दिवस पर अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित हिन्दी दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा- हिन्दी को बोलने, लिखने और पढ़ने में हमे गर्व होना चाहिए, तो...

श्री चौहान ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को हिन्दी विभाग स्थापित करने के लिये निर्देशित किया जाएगा। प्रत्येक दो वर्ष में राज्य-स्तरीय हिन्दी सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा करते हुये उन्होंने कहा कि आगामी दिसम्बर 16-17 में राज्य-स्तरीय हिन्दी सम्मलेन आयोजित किया जाएगा। इसमें हिन्दी को समृद्ध बनाने वाले विद्वानों, व्यक्तिओं और संस्थाओं को आमंत्रित किया जाएगा। श्री चौहान ने कहा कि स्वर्गीय श्री दुष्यंत कुमार त्यागी हिन्दी गजल के जनक थे। उनकी स्मृति में बने दुष्यंत कुमार संग्रहालय का निर्माण राज्य सरकार करेगी।

हिन्दी की शक्ति बताने चलायें अभियान

श्री चौहान ने कहा कि बाजारों में दुकानों पर नाम और सूचना पट्टिकाएं हिन्दी में लगाना अनिवार्य करने के लिये वैधानिक उपाय किये जाएंगे। हिन्दी की शक्ति, सामर्थ्य और क्षमता से समाज की नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिये समाज के सहयोग से निरंतर अभियान चलाना पढ़ेगा।

हिन्दी के उपयोग से मिली सराहना

श्री चौहान ने अपनी विदेश यात्राओं का स्मरण करते हुये बताया की उन्होंने हर जगह हिन्दी में ही भाषण दिया और संवाद किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभाषा का उपयोग करने से उनकी प्रतिष्ठा भी बढ़ी और सराहना भी मिली। उन्होने श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में दिये भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि हिन्दी निरंतर आगे बढ़ रही है, लेकिन इसकी गरिमा कायम रखने के लिये हमेशा सजग रहना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी भाषा का विरोध नहीं करती, लेकिन हिन्दी की कीमत पर अंग्रेजी का उपयोग ठीक नहीं है।

श्री चौहान ने हिन्दी के पाठ्यक्रमों को और ज्यादा समृद्ध बनाने की आवश्यकता बताई। अच्छी कविताएं, अच्छे गद्य और पद्य को सम्हाल कर रखने और प्रस्तुत करने पर जोर देते हुए कहा कि हिन्दी की स्वीकार्यता को बढ़ाने की आवश्यकता है। श्री चौहान ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को हिन्दी दिवस मनाने के लिये एकत्र होना चाहिए। अगले साल से हिन्दी दिवस का आयोजन भव्य होगा और इसमें सभी विश्वविद्यालय शामिल होंगे।

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