भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री, विधायक व खाप चौधरियों के दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लेने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में मुजफ्फरनगर के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के साथ बुढ़ाना के विधायक उमेश मलिक, बालियान खाप के चौधरी व भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत, गठवाला खाप के राजेंद्र सिंह लिसाढ़, अहलावत खाप के गजेंद्र सिंह अहलावत, गठवाला खाप के थांबेदार राजवीर सिंह, शामली जाट सभा के अध्यक्ष प्रताप चौधरी और अखिल भारतीय जाट महासभा के सुभाष चौधरी शामिल थे। करीब 40 मिनट की मुलाकात में मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को विधिक राय लेकर आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
एक रजाई जलाकर ले लिया पांच लाख मुआवजा
पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने मुख्यमंत्री को बताया कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद विभिन्न स्थानों पर आगजनी के 402 फर्जी मुकदमों में 856 निर्दोषों को फंसाया गया। दबिश के दौरान विरोध होने पर पुलिस ने नौ केस में 100 महिलाओं समेत 250 लोगों को आरोपी बनाया। यह मुकदमे वापस हों या फिर से जांच कराकर खारिज किए जाएं।
उन्होंने कहा कि तमाम स्थानों पर मुआवजा लेने के लिए खुद आगजनी की गई। ऐसे भी केस हैं जहां एक रजाई जलाकर पांच लाख रुपये मुआवजा लिया गया। वहीं, गठवाला खाप के राजेंद्र सिंह ने कहा कि उनके गांव में एक-दो लोगों ने खुद ही आग लगाकर एफआईआर दर्ज कराई। चौधरी नरेश टिकैत, वीरेंद्र सिंह और विधायक उमेश मलिक ने फर्जी मुकदमों को वापस लेने की मांग की। इनका कहना था कि कुछ स्थानों पर वोटर लिस्ट लेकर नामजदी कराई गई।
दलितों के मुआवजे का मुद्दा
संजीव बालियान ने बसी गांव से 25 दलित परिवारों के पलायन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पलायन करने वाले दूसरे संप्रदाय के लोगों को मुआवजा दिया गया पर दलितों को नहीं मिला। पूर्व मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में सहमति जताते हुए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है।
बलात्कार पीड़िताओं से हुआ भेदभाव
संजीव बालियान ने बताया कि बलात्कार के मुकदमे दर्ज होने के बाद पीड़िताओं को मुआवजा दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने काकड़ा व दुल्हेरा में पीड़ित दो हिंदू महिलाओं को मुआवजा नहीं दिया।
हत्या के मुकदमों पर फैसला करेगी अदालत
पूर्व मंत्री ने बताया कि मुजफ्फरनगर दंगे में कुल 502 केसों में 6867 लोगों को नामजद किया गया था। इनमें 17 मृत थे। दंगे को लेकर तीन तरह के मामले दर्ज हुए थे। पहला दंगे के दौरान हत्या के केस, दूसरा दंगे के बाद आगजनी के केस, इनमें अधिकतर मामले फर्जी थे। तीसरे ऐसे मुकदमे जो पुलिस ने दबिश के दौरान गांवों में विरोध होने पर दर्ज किए थे। हत्या के मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, ट्रायल चल रहा है। ऐसे मामलों में अदालत फैसला करेंगी। इसलिए दंगे के बाद आगजनी और पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।
मुलाकात के बाद सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा, मुख्यमंत्री ने बातों को गंभीरता से सुना। केस वापस लेने या पुन: जांच कराकर खारिज करने की मांग से संबंधित एक भी उन्हें ज्ञापन दिया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि फर्जी केस वापस होने चाहिए। उन्होंने विधिक राय लेकर आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।