मिर्ज़ा ग़ालिब के इस सबक को पढ़कर सिंगल लोगों का बन जाएगा दिन…

आज प्रोपोज़ डे है. ऐसे में वैलेंटाइन वीक बीते कल से शुरू हो चुका है. सबसे पहले रोज डे और उसके बाद प्रपोज़ डे आ चुका है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं प्रपोज डे पर वह सबक जो आप किसी सिंगल को भेजेंगे तो वह ख़ुशी से पागल हो सकते हैं. यह उर्दू-हिंदी-वेबसाइट रेख्ता से जुड़ीं है और ग़ालिब की इश्किया शायरी हैं जो आपको भी खुश कर देंगी. इस सबक को पढ़कर आपका दिन भी बन जाएगा और आप सिंगल हैं तो आपको मजा आ जाएगा.

1. इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने

2. अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा

3. आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती

4 .आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद
मुझ से मिरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न माँग

5. आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

6. इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के

7. इश्क से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया

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