बीजिंगः मालदीव में आपातकाल बढ़ाए जाने और द्विपक्षीय संबंधों के अन्य मसलों पर चर्चा के लिए विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन का दौरा कर वहां विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों में बने तनाव के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा की. बीजिंग में भारतीय दूतावास ने ट्विटर पर गोखले के दौरे की जानकारी दी है.
ट्वीट में कहा गया, ‘‘विदेश सचिव विजय गोखले द्विपक्षीय एजेंडे, आदान प्रदान की योजनाओं एवं 2018 में होने वाली यात्राओं पर चर्चा के लिए चीन का दौरा कर रहे हैं. वह 23 फरवरी को विदेश मंत्री वांग यी से मिले.’’ चीनी विदेश मंत्रालय ने वांग के साथ गोखले की बातचीत को लेकर शुक्रवार देर रात एक बयान जारी किया.
Foreign Secretary Mr. Vijay Gokhale is visiting China to discuss the bilateral agenda, exchange plans and visits for 2018. He met with FM Wang Yi on 23 February. pic.twitter.com/2RWebY3NJO
— India in China (@EOIBeijing) February 23, 2018
बयान के अनुसार वांग ने कहा कि दोनों पक्षों को परस्पर रणनीतिक विश्वास बढ़ाना चाहिए और दोनों देशों के नेताओं के बीच राजनीतिक सहमति के साथ साझा विकास को तेज करना चाहिए. उन्होंने मालदीव में जारी राजनीतिक संकट सहित दोनों देशों के बीच मौजूद संवेदशील मुद्दों की तरफ संकेत करते हुए कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारतीय पक्ष समझदारी के साथ संवेदनशील मुद्दों पर ध्यान देगा और चीन-भारत संबंधों के ठोस विकास को बढ़ावा देने के लिए चीन के साथ काम करेगा.’’
मालदीव को लेकर लगातार भारत को चेता रहा चीन
गौरतलब है कि मालदीव में आपातकाल बढ़ाए जाने का भारत ने कड़े शब्दों में निंदा की है. हालांकि भारत ने मालदीव संकट के समाधान को लेकर किसी सैन्य कार्रवाई का कोई संकेत नहीं दिया है. उधर, चीन लगातार भारत को चेता रहा है कि वह मालदीव में किसी भी हस्तक्षेप से बचे. मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को चीन समर्थक माना जाता है.
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चीन के परोक्ष समर्थन से ही यामीन आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं, प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार गोखले ने कहा कि वह अपने कार्यकाल की शुरूआत में चीन का दौरा कर खुश हैं. गोखले इससे पहले चीन में भारत के राजदूत थे और उन्होंने पिछले महीने विदेश सचिव पद पर एस जयशंकर की जगह ली.
उन्होंने कहा कि भारत चीन के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है और नेताओं के बीच सहमति लागू करने, रणनीतिक सामरिक संचार, एक दूसरे की मूल चिंताओं पर ध्यान देने और द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर एवं स्थिर विकास के लिए अच्छा माहौल तैयार करने के लिए उसके साथ काम करने को तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साल जून में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन की यात्रा करने की उम्मीद है.