मार्च में दो दिन लगातार हुई बारिश ने बीस साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो एक से 15 मार्च तक 4.23 मिलीमीटर और 31 मार्च तक औसतन बारिश 8.57 मिलीमीटर (एमएम) होनी चाहिए थी। लेकिन 13 और 14 मार्च को हुई बारिश ने बीस साल का रिकार्ड तोड़ दिया। दो दिनों में 43.21 एमएम बारिश हुई। 13 मार्च को 25 एमएम बारिश हुई थी। इस हिसाब से नौ सौ फीसद अधिक बारिश हुई है। भारी बारिश होने से गेहूं, सरसों, मसूर, चना फसल को व्यापक नुकसान पहुंचा है। जिले में 30 से 40 हजार हेक्टेयर में लगे फसलों को नुकसान होने का अनुमान है। फसलों को भारी नुकसान से किसानों की कमर तोड़ दी है। शनिवार को कृषि विभाग ने दस हजार हेक्टेयर में नुकसान होने की बात बताई थी। ऐसे किसान जिन्होंने कर्ज लेकर खेती की है, उनके लिए गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। हालांकि प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसानों को सरकार से अनुदान राशि मिलेगी।
जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णकांत झा ने कहा कि मार्च में भारी बारिश ने बीस साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। बारिश से फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा है। कृषि विभाग के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्राकृतिक आपदा की समीक्षा की। अत्यधिक बारिश के कारण फसलों के नुकसान का जायजा लेकर छह दिनों के भीतर विभाग को रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश दिया। प्रभावित रकवा की रिपोर्ट प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी के हस्ताक्षर आना है। 30 से 40 हजार हेक्टेयर में लगे फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। सर्वेक्षण के बाद ही नुकसान का सही आकलन हो पाएगा। इसमें कम से कम तीन-चार दिन लग सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि फसल नुकसान का किसान ऑनलाइन आवेदन करेंगे। जांच के बाद संबंधित किसानों के खाते में अनुदान राशि जमा कराया जाएगा।