महाशिवरात्रि 2022: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसके साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि आज ही के दिन भगवान शिव दिव्य ज्योतिर्लिंग (के रूप में प्रकट हुए थे. इसलिए आज के दिन घरों में बहुत से भक्त रुद्राभिषेक करते हैं.
ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान के साथ रुद्राभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. वहीं, इस दिन बेलपत्र से पूजा करने पर आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है. मान्यता है कि भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करते समय अगर इन प्रभावशाली मंत्रों का जाप किया जाए, तो धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
इसलिए चढ़ाए जाते हैं शिव जी बेलपत्र?
पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. साथ ही उन्होंने कई व्रत रखे थे. एक बार भगवान शिव बेलपत्र वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या कर रहे थे. माता पार्वती जब शिव जी की पूजा के लिए सामग्री लाना भूल गईं तो उन्होंने भगवान शिव को बेलपत्र से ढक दिया. इससे भोलेनाथ बहुत अधिक प्रसन्न हुए. और तब से ही भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है.
बेलपत्र चढ़ाने से होता है ये लाभ
कहते हैं कि भोलेनाथ बहुत ही दयालु हैं. वे थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन भोलेशंकर की पूजा के दौरान उन्हें बेलपत्र अर्पित करने से उनकी आर्थिक समस्या दूर हो जाती है. इसके अलावा कहते हैं कि शादीशुदा व्यक्ति अगर भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाए तो उससे वैवाहिक जीवन खुशहाल हो जाता है. साथ ही संतान सुख की प्राप्ति होती है.
यूं अर्पित करें शिवलिंग पर बेलपत्र?
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को 11 या 21 बेलपत्र चढ़ाएं. इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी पत्ती कटी या छटी हुई नहीं होनी चाहिए. इसके बाद इन्हें शुद्ध पानी से साफ करें और फिर गंगाजल से शुद्ध करें. इसके बाद इन सभी बेलपत्रों पर चंदन से ओम लिखें. इसके बाद इत्र छिड़कर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र बोलते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं.
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते वक्त बोले ये मंत्र
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम् ।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम् ।
कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् ॥
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम् पापनाशनम् ।
अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् ॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर ।
सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय ॥
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो
दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥