छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे छत्रपति संभाजी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में पूर्व पत्रकार प्रशांत कोरटकर की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। जहां कोल्हापुर की सत्र अदालत ने उन्हें पुलिस हिरासत के बाद अब 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
महाराष्ट्र के नागपुर निवासी पूर्व पत्रकार प्रशांत कोरटकर की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही रही है। जहां उनकी टिप्पणी पर मचे बयानबाजी के बीच कोल्हापुर की सत्र अदालत ने उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे छत्रपति संभाजी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इस टिप्पणी के लिए कोरटकर को 24 मार्च को तेलंगाना से गिरफ्तार किया गया था।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में किए गए पेश
बता दें कि रविवार को पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने पर उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया गया। चूंकि पुलिस ने उनकी आगे की हिरासत के लिए कोई दबाव नहीं डाला, इसलिए अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। हालांकि सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें कोल्हापुर की कलंबा जेल में एक अलग कोठरी में रखा जाएगा।
ऑडियो बातचीत के बाद दर्ज किया गया मामला
गौरतलब है कि कोरटकर के खिलाफ 26 फरवरी को उनकी और कोल्हापुर के इतिहासकार इंद्रजीत सावंत के बीच हुई एक ऑडियो बातचीत के बाद मामला दर्ज किया गया। इस बातचीत में कोरटकर ने कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसे सावंत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इसके बाद कोरटकर की गिरफ्तारी की मांग उठी और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया।
हालांकि इससे पहले, कोरटकर को गिरफ्तारी से बचाने के लिए 1 मार्च तक अंतरिम संरक्षण मिला था, लेकिन बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोल्हापुर सत्र न्यायालय को मामले की सुनवाई करने को कहा। 18 मार्च को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
कोर्ट ने खारिज की थी जमानत याचिका
वहीं बीते 18 मार्च को कोल्हापुर में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी वी कश्यप ने कोराटकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोराटकर ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उनके फोन से छेड़छाड़ की गई है और ऑडियो से छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी है।
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