मुंबईः महाराष्ट्र में आशा वर्कर अनिश्चित समय के लिए हड़ताल पर चले गए हैं. सैलरी न बढ़ने के कारण निराश आशा वर्करों ने यह निर्णय लिया है. इस हड़ताल में करीब 65 हजार आशा वर्कर्स शामिल हैं. आशा वर्करों की मांग है कि उनकी पगार बढाई जाए. बता दें कि आशा वर्करों को हर महीने 1,650 रुपये पगार मिलता है. नियमों के मुताबिक उन्हें एक दिन में 5 घंटे ही काम करना होता है. हालांकि कोरोना संक्रमण के दौरान उन्हें 7 से 8 घंटे भी काम करना पड़ रहा है.

पिछले साल मिला था आश्वासन
पिछले साल आशा वर्करों को आश्वासन दिया गया था कि उनकी पगार बढ़ाई जाएगी. आश्वासन में यह भी कहा गया था कि उनकी पगार को 1650 रुपये से 4000 रुपये प्रति महीना कर दिया जाएगा.
अतिरिक्त राशि मिलना बंद
कोरोना की पहली लहर के समय आशा वर्कर्स को पगार के अलावा 300 रुपये रोजाना अतिरिक्त मिलता था. यह सिलसिला करीब छह महीने तक चला और उसके बाद इसे बंद कर दिया गया.
कोरोना काम में आशा वर्कर्स की भूमिका महत्वपूर्ण
कोरोना की दूसरे लहर में आशा वर्करों को अतिरिक्त राशि भी मिलना बंद हो गया. हालांकि आशा वर्कर्स कोरोना काल में फ्रंट लाइन वर्कर्स के साथ काम करने में जुटे हुए हैं. ऐसे में उनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है.
कोविड कैंप में भी लगती है ड्यूटी
बता दें कि आशा वर्कर्स को घर घर जाकर कोविड से संबंधित सर्वे करना होता है. होम आइसोलेशन के मरीजों को ध्यान रखना होता है. इसके अलावा कोविड जांच के कैम्प में भी मदद के लिए उनकी ड्यूटी लगाई जाती है.
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