लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त और राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद 2019 के पहले छह महीने कांग्रेस के लिए बहुत ही मुश्किल भरे रहे. लेकिन साल के अंत में महाराष्ट्र और झारखंड में बीजेपी की सरकार नहीं बनने से देश की सबसे पुरानी पार्टी के भीतर भविष्य में बेहतर करने की एक उम्मीद जगी है. इसी साल सोनिया गांधी ने पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली तो प्रियंका गांधी ने बतौर महासचिव अपनी सक्रिय राजनीति का आगाज किया.

यही नहीं, कांग्रेस ने वैचारिक रूप से बेहद अलग शिवसेना के साथ हाथ मिलाकर साफ संकेत भी दिया कि बदले हुए राजनीतिक हालात में वह बीजेपी के खिलाफ नए नए राजनीतिक गठजोड़ करने से गुरेज नहीं करेगी. बीते कुछ सालों से अपने सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही कांग्रेस ने साल के आखिर में संशोधित नागरिकता कानून, राष्ट्रीय नागरिकता पंजी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले किए.
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