महाभारत के युद्ध का असली कारण था शकुनि, जानिए….

महाभारत से जुड़ीं अधिकांश पौराणिक कथाएं से बताती हैं कि महाभारत युद्ध जिताने और पांडवों को तबाह करने के लिए दुर्योधन के मामा शकुनि ने कई चालें चलीं. चाहे वो चौपड़ में छल से हराना हो या लाक्षागृह में जलाकर मारना. हर कुटिलता के पीछे शकुनि क हाथ रहा, लेकिन वह ये सब सिर्फ भांजों के लिए कर रहा था, ऐसा बिल्कुल नहीं था. कई किवदंतियां ऐसी भी हैं, जिनमें कहा गया है कि शकुनि अपने खास मिशन के लिए कौरवों के साथ था. वह यहां अपने जीजा धृतराष्ट्र से पिता का बदला लेने आया था. वो जानता था कि कौरव कभी पांडव से जीत नहीं सकेंगे, इसलिए उसने कौरवों का पांडवों सेे युद्ध करवाया और कौरवों की हार के साथ अपना बदला पूरा कर लिया.

शकुनी की धृतराष्ट्र और कौरवों से दुश्मनी की दो बड़ी वजहें बताई जाती हैं. पहली बहन गांधारी का अंधे राजा से विवाह, जिसके लिए हस्तिनापुर के राजा ने गांधार राजा और उसके पिता सुबाल को हराया था. हालांकि धृतराष्ट्र इस बात से अज्ञान थे कि गांधारी एक बकरे की विधवा हैं. जब यह बात खुली तो धृतराष्ट्र अपने सुबाला और शकुनि समेत उनके 100 पुत्रों को जेल में बंद कर दिया. उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया गया. रोज सिर्फ एक मुट्ठी चावल दिया जाता था, जिसे सभी मिलकर खाते थे. धीरे-धीरे भूख के कारण राजा सुबाला के पुत्रों में एक-एक की मौत होती गई. राजा ने तय किया कि वह अपने वंश का अंत नहीं होने देंगे. तय किया गया कि सभी अपने हिस्से का भोजन त्याग कर सबसे छोटे भाई शकुनि को देंगे. बीतते समय के साथ राजा सुबाल कमजोर होते गए. उन्होंने धृतराष्ट्र से विनती की तो शकुनि को छोड़ दिया गया. सुबाल ने धृतराष्ट्र से वादा किया था कि शकुनि हमेशा कौरवों के साथ रहेगा. धृतराष्ट्र ने इसे ससुर की अंतिम इच्छा मान ली और शकुनि को हस्तिनापुर ले आए, लेकिन शकुनि कभी इस अपमान को नहीं भूला.

बीमार पड़ चुके राजा सुबाल ने मरने से पहले शकुनि से कहा था कि वह उनकी रीढ़ की हड्डी से चौपड़ के पांसे बनवा. यह उसकी इच्छा अनुसार चलेंगे. राजा सुबाल चाहते थे कि इन्हीं पांसों के जरिए धृतराष्ट्र का वंश समेत अंत हो जाए. साथ ही शकुनि का एक पैर भी मूर्छित कर दिया ताकि उसे पिता का ये वचन हमेशा याद रहे और वह पिता-भाइयों का अपमान कभी ना भूले. शकुनि ने पिता की इच्छा पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा दी. उसने पांडव और कौरवों के बीच जब जब चौपड़ का खेल हुआ, पिता की हड्डी से बने पासे ही इस्तेमाल किए और युधिष्ठिर सभी भाइयों समेत पत्नी द्रौपदी को हार गए. इसके बाद द्रौपदी का चीरहरण हुआ जो आखिर में युद्ध का कारण बना. 

चीरहरण, पांच गांव से इनकार समेत हर बड़े निर्णयों का शकुनि रहा सूत्रधार 
शकुनि कौरवों को विश्वास में लेने के बाद पांडवों के साथ युद्ध में धकेलने के लिए हर चाल का सूत्रधार बना. उसके चलते द्रौपदी का चीरहरण हुआ तो वनवास काट कर लौटे पांडवों को पांच गांव भी नहीं देने के निर्णय में शकुनि अड़ंगा बना, यहां तक कि उसने शांतिदूत बनकर आए कृष्ण को भी बैरंग लौटने के दुर्योधन के फैसले को प्रभावित किया. अंतत: उसे उसके कर्मों की सजा मिली और सहदेव ने उसे युद्ध के दौरान मार डाला।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com