रायपुर. छत्तीसगढ़ का इतिहास रहा है कि यहां कोई भी क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय पार्टियों के मुकाबले ज्यादा समय तक नहीं टिक पाया. 2018 के चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Jogi) की बनायी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े हो गये हैं. अजीत जोगी के निधन के बाद से ही राजनीतिक विश्लेषक ये कयास लगा रहे थे कि जेसीसीजे का विलय कांग्रेस में हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अजीत जोगी के बाद उनके बेटे अमित जोगी ने पार्टी की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर जोर दिखाया और मरवाही उपचुनाव को लेकर नामांकन दाखिल किया.
लेकिन अजीत जोगी के समय से चला आ रहा जाति के विवाद की वजह से अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी का भी नामांकन खारिज हो गया. इसके बाद लगातार जोगी कांग्रेस के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने जेसीसीजे छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया और अब उनकी पार्टी के जीते हुए विधायक भी कांग्रेस में आने की बात कह रहे हैं.
कांग्रेस का दावा-
मरवाही उपचुनाव से जोगी परिवार का पत्ता साफ होने के बाद कांग्रेस के मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने न्यूज़ 18 से ही बातचीत के दौरान कहा थि कि जेसीसीजे के कई विधायक पार्टी के सम्पर्क में हैं और अन्य विधायक ही नहीं बल्कि खुद रेणु जोगी भी कांग्रेस में आना चाह रही है.
क्षेत्रीय दलों का रोल-
क्षेत्रीय दल के रूप में छत्तीसगढ़ में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ समाज पार्टी, छत्तीसगढ़ विकास पार्टी, जय छत्तीसगढ़ पार्टी आदि मैदान में आती रही हैं. जोगी कांग्रेस के आने के बाद सिर्फ बसपा और जोगी गठबंधन ने अपनी राजनीतिक शक्ति दिखलाते हुए कुछ सीटें जीतकर अपनी विशिष्ट स्थिति प्रदर्शित की. लेकिन अब ये पार्टी भी टूटती नज़र आ रही है. इससे पहले बीजेपी से अलग होकर ताराचंद साहू ने स्वाभिमान मंच बनाया था जो बाद में बीजेपी में ही विलय हो गयी. उससे पहले एनसीपी को छत्तीसगढ़ में खड़ा करने के लिए विद्याचरण शुक्ल ने भी कांग्रेस छोड़ा था लेकिन फिर कांग्रेस में ही वापसी करनी पड़ी ऐसे में क्षेत्रीय पार्टियों का भविष्य छत्तीसगढ़ में दिखायी नहीं दे रहा है.
इधर, जोगी की पार्टी में खड़े इस संकट को बीजेपी गेम ऑफ पावर बता रही है. वहीं अमित जोगी अपनी पार्टी के अस्तित्व को लेकर फिलहाल यही कह रहे हैं कि भले ही उनके लोग किसी भी दल में हों लेकिन दिलों में उनके हैं. इन तमाम बयानबाजीयों और अटकलों के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान सामने आता है जिसमें सीएम खुद ये कह रहे हैं कि वे नहीं चाहते कि किसी भी तरह का दल बदल हो लेकिन आखरी फैसला आलाकमान करेगी.