सीलिंग से दिल्लीवासी परेशान हैं, वहीं अवैध निर्माण भी राजधानी की बड़ी समस्या है। इसे लेकर सियासत भी खूब हो रही है और इससे भाजपा को सियासी नुकसान होने की आशंका भी जताई जा रही है। दूसरी ओर, भाजपा में बढ़ रही गुटबाजी भी पार्टी के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। इन मुद्दों को लेकर दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता संतोष कुमार सिंह ने दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी से विस्तार से चर्चा की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश :

1. दिल्ली में सीलिंग के लिए कौन जिम्मेदार है?

– सीलिंग दिल्ली सरकार की विफलता का परिणाम है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से खुशहाल दिल्ली का वादा किया था, लेकिन राजधानी की अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने और लोगों की दुकानें तथा आशियाने को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। मिश्रित उपयोग के लिए सड़कें अधिसूचित नहीं की गईं, जिस कारण लोगों को सीलिंग का सामना करना पड़ा। मॉनिटरिंग कमेटी की भूमिका भी सही नहीं है। उसके गठन के बाद भी अवैध निर्माण होते रहे। सीलिंग और अवैध निर्माण गिराने में भी भेदभाव किया जाता है। यह सबकुछ भाजपा को बदनाम करने की साजिश है।

2. केंद्र सरकार और नगर निगमों ने भी तो इस ओर कुछ नहीं किया?

– सीलिंग सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा चलाया गया अभियान है। दिल्ली सरकार के असहयोग के बावजूद केंद्र सरकार ने दिल्ली के मास्टर प्लान में संशोधन करके इसे अदालत में प्रस्तुत किया है। कोर्ट ने भी संशोधन पर सकारात्मक रुख अख्तियार किया है। इस तरह से अब हमलोग सीलिंग के स्थायी समाधान की ओर बढ़ गए हैं। अगले 15 से 20 दिनों में समाधान निकल जाएगा।

3. सीलिंग से लोगों को हुई परेशानी से भाजपा को सियासी नुकसान की आशंका जताई जा रही है?

– इसके लिए भाजपा दोषी नहीं है, जो काम दिल्ली सरकार ने 20 वर्षों में नहीं किया, उसे भाजपा ने तीन-चार महीने में पूरा कर दिया है। लोग समझ रहे हैं कि सीलिंग की समस्या किसकी देन है और व्यापारियों की परेशानी के बावजूद किसने इसके समाधान की कोशिश नहीं की। वे यह भी देख रहे हैं कि कौन इस समस्या का कानूनी समाधान निकाल रहा है, इसलिए दिल्लीवासी भाजपा के साथ पहले से और अधिक मजबूती के साथ खड़े हैं।

4. दिल्ली में अवैध निर्माण की समस्या क्यों नहीं दूर हो रही है?

– मैं अवैध निर्माण के सख्त खिलाफ हूं, लेकिन अवैध निर्माण को परिभाषित करना होगा। यदि कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर अपना आशियाना बनाना चाहता है तो उसे कई तरह की परेशानी होती है। वहीं, कई लोग सरकारी जमीन पर कब्जा कर उस पर निर्माण कर लेते हैं। अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, पुलिस आयुक्त और सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को बुलाकर इस बारे में सख्त निर्देश दे। अवैध निर्माण के लिए नगर निगम के अधिकारियों के साथ ही राजस्व विभाग के अधिकारी और पुलिस भी जिम्मेदार है। जहां कॉलोनी काटी जाती है, सबसे पहले दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग को सूचना मिलती है। आखिर वह कार्रवाई क्यों नहीं करता? दुर्भाग्य की बात यह है कि सत्ता पक्ष के विधायक धड़ल्ले से अवैध निर्माण करा रहे हैं।

5. आखिर, इस समस्या का समाधान क्या है?

– अपनी जमीन पर आशियाना बनाने वालों और सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों में अंतर करना होगा। दोनों के साथ एक जैसा व्यवहार अनुचित है। सबसे पहले सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। कानून में बदलाव के लिए दिल्ली सरकार को प्रस्ताव लाना चाहिए। जिन लोगों ने जमीन खरीदकर घर बनाया है, उनके घरों को वैध घोषित कर उनसे संपत्ति कर वसूला जाना चाहिए। साथ ही नया अवैध निर्माण न हो यह भी सुनिश्चित करना होगा। मकान तोड़ने से पहले अवैध निर्माण रोकने की जरूरत है।

6. संगठन में गुटबाजी क्यों नहीं रुक रही है?

– पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है। सभी लोग मिलकर काम कर रहे हैं। हमने यह निश्चय किया है कि किसी भी वरिष्ठ नेता के साथ कोई अमर्यादित बात नहीं हो, लेकिन यह वरिष्ठ नेताओं को भी विचार करना चाहिए कि संगठन के हित में उनके लिए क्या करना उचित है।

7. AAP सरकार की मुफ्त पानी और सस्ती बिजली की रणनीति से आगामी चुनाव में भाजपा कैसे पार पाएगी?

– दिल्ली सरकार पानी मुफ्त देने की बात जरूर करती है, लेकिन ऐसे मुफ्त पानी का क्या फायदा, जब लोगों को पानी ही नहीं मिल रहा है। भाजपा दिल्ली की सत्ता में आएगी तो लोगों को 30 हजार लीटर प्रतिमाह पानी मुफ्त देने के साथ ही जलापूर्ति भी सुनिश्चित करेगी। इसी तरह बिजली की दरें भी मौजूदा दरों के मुकाबले कम कर दी जाएंगी, इस योजना पर भाजपा अभी से काम कर रही है। यमुना को भी साफ किया जाएगा और इसमें बड़ी नावें चलाई जाएंगी।