मध्य प्रदेश वन्यजीव: 147 घड़ियालों में से 25 को दूसरी नदियों में छोड़ने के लिए रोका, जाने क्यों.

भारत में लगातार घटती घड़ियालों की संख्या के बाद मध्य प्रदेश की चंबल नदी में घड़ियाल संरक्षण का प्रयोग सफल रहा है. नदी में लगातार घडि़यालों की संख्या बढ़ रही है. अब चंबल दूसरी नदियों में घड़ियालों की वृद्धि में योगदान दे रही है. नदी से पंजाब की व्यास और सतलज नदियों में घडि़याल जा चुके हैं. इस बार भी वन विभाग ने यहां रिलीजिंग के लिए तैयार 147 घड़ियालों में से 25 को दूसरी नदियों में छोड़ने के लिए रोका है. इसके लिए पंजाब वन विभाग ने भी मांग की है. वहीं 14 साल से केन नदी में घड़ियाल न छोड़े जाने के चलते विशेषज्ञों ने उसमें भी घड़ियाल छोड़ने की अनुशंसा चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन मध्य प्रदेश से की है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चंबल नदी में हर साल की तरह इस बार 147 घड़ियालों को नदी में छोड़ने को लेकर वन विभाग ने चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन कार्यालय से अनुमति मांगी थी, लेकिन देश और मध्य प्रदेश की दूसरी नदियों में चंबल के घड़ियालों की डिमांड और विशेषज्ञों की राय को ध्यान में रखते हुए, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन कार्यालय ने इनमें से सिर्फ 122 घड़ियालों को नदी में छोड़ने की अनुमति दी है.

अगर आपको नही पता तो बता दे कि करीब तीन साल पहले चंडीगढ़ के छटवीर जू सहित पंजाब की व्यास और सतलुज नदी में करीब 50 घड़ियालों भेजे गए थे. इसके बाद वन विभाग पंजाब ने वन विभाग मध्य प्रदेश से कुछ और घड़ियालों मांगे थे, जो मांग अब भी विचाराधीन हैं.चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन कार्यालय से अभी वन विभाग मुरैना को यह नहीं बताया गया है कि रिजर्व किए गए घडि़याल कहां छोड़े जाएंगे, लेकिन यह तय है कि जिन घडि़यालों की रिलीजिंग को रोका गया है, उन्हें इसी साल सर्दी में छोड़ा जाएगा. ज्यादा से ज्यादा एक साल तक ही इन घडि़यालों को रोका जा सकता है. इसलिए जल्द ही वन विभाग तय करेगा कि घडि़याल सोन नदी या केन नदी में जाएंगे या इन्हें पंजाब भेजा जाएगा.

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