शहर को जाम की समस्या से मुक्त कराने के लिए मंधना से रेलवे ट्रैक को पनकी से जोड़न को लेकर जनप्रतिनिधियों, जिला प्रशासन और व्यापारियों की मेहनत अब रंग लाती दिखाई दे रही है। अबतक हर बार के प्रस्ताव में लाल झंडी दिखाने वाले रेलवे ने इस मुद्दे पर अब दिलचस्पी दिखानी शुरू की है। हालांकि रेलवे बोर्ड अनवरगंज-कासगंज ट्रैक को मंधना से पनकी की बजाए मैथा से दिल्ली-हावड़ा रेल रूट से जोड़ने के लिए सोच रहा है। इसके लिए करीब दो हजार करोड़ रुपये का खर्च का प्राथमिक आंकलन भी किया गया है।
रविवार को भाजपा सांसद सत्येदव पचौरी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि अनवरगंज से मंधना ट्रैक को हटाने के मुद्दे पर रेलवे बोर्ड ने मंधना से पनकी की बजाए ट्रैक को मैथा से जोड़ने की बात कही है। इस पूरे कार्य पर 2000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, रेलवे अपनी जमीन को बेच करके इस खर्च को पूरा कर सकता है। अगर मैथा से सेंट्रल स्टेशन तक रेलवे लाइन डालने के लिए डिफेंस की भूमि लेनी पड़े तो उसे भी लिया जा सकता है। उन्होंने कहा की मेट्रो का संचालन शुरू होने के बाद शहर में तमाम स्थानों पर फ्लाईओवर भी नहीं बन पाएंगे। गुमटी में लोग फ्लाईओवर का विरोध कर रहे हैं और जरीब चौकी में फ्लाईओवर की फिजिबिलिटी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि सीओडी पुल का लोकार्पण अक्टूबर में होगा।
बीआइसी की मिलों के कर्मियों को वीआरएस का फैसला
भाजपा सांसद बताया कि बीआइसी की सभी मिलों के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को वीआरएस देने का सैद्धांतिक निर्णय कैबिनेट ने ले लिया है। कैबिनेट का फैसला अक्टूबर-नवंबर में आ जाएगा और इसके लिए कैबिनेट नोट बना लिया गया है। कैबिनेट के फैसले के बाद उसे वित्त मंत्रालय में भेजा जाएगा। बीआइसी के करीब 900 अधिकारियों और कर्मचारियों को 250 करोड़ रुपया देना बाकी है। इसके अलावा वीआरएस के तहत निर्णय के अनुसार भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर पिछले डेढ़ साल से वह संसद में सरकार के खिलाफ जाकर अपनी बात रखते आए हैं, अब सरकार ने उनकी बात सुन ली है।