आपने अब तक अनेकों प्राचीन मंदिर देखे होंगे जो अपनी खूबसूरती, अद्भुत कलाकृतियों और शिल्पकारिता के लिए मशहूर है. दुनिया में हजारों की संख्या में ऐसे शानदार मंदिर मौजूद हैं जो हमें एक अलग एहसास दिलाते हैं. धार्मिक स्थान का ताल्लुक चाहे किसी भी पंथ से हो लेकिन पौराणिक समय में हुआ उसका निर्माण किसी विशेष घटना या कहानी की तरफ इशारा करते हैं. हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई दुनिया के प्राचीनतम धर्मों में से एक हैं. इसलिए माना जाता है कि इनसे जुड़े कोई भी धार्मिक स्थल विशेष महत्व वाले ही होंगे. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप में विशिष्ट है. वहां पर होने वाले चमत्कारों के बारे में दावा तो नहीं कर सकते पर यह मंदिर अपने आप में एक चमत्कार है.
मंदिर की नहीं है कोई सतह
आज तक आपने सभी मंदिर ज़मीन पर देखा होगा परंतु आपको यकीन नहीं होगा कि जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं उसकी कोई सतह नहीं है. यह मंदिर चीन के शानसी के ताथुंग प्रांत के निकट बना हुआ है. अनुमान के आधार पर बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना हो सकता है. यह बौद्ध, ताओ और कंफ्यूसियस धर्मों की मिश्रित शैली से बना एकमात्र संरक्षित मंदिर है. इस मंदिर की संरचना से स्पष्ट पता चलता है कि यह मंदिर हवा में लटका हुआ है. यह मंदिर सीधी खड़ी चट्टान पर इस कदर बना हुआ है मानो बिना किसी सहारे के हवा में झूल रहा हो. अपनी इस खूबी के कारण यह मंदिर चीन में बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है. जो कोई व्यक्ति भी चीन आता है, इस अद्भुत हवा में अटके मंदिर को देखने अवश्य जाता है.
कुछ लकड़ियों के सहारे टिका हुआ
इस मंदिर का दृश्य मन मोह लेने वाला है. मंदिर बेहद घनी पहाड़ी के बीच बना हुआ है. 100 मीटर की चट्टानें मंदिर के दोनों ओर सीधी खड़ी हैं. इस मंदिर का निर्माण इन्हीं चट्टानों में से एक चट्टान के 50 मीटर ऊपर बनाया हुआ है, जिसकी वजह से मंदिर हवा में लटका हुआ प्रतीत होता है. मंदिर पर की गयी नक्काशी भी किसी अजूबे से कम नहीं है. कुछ लकड़ियों के सहारे ही यह मंदिर टिका हुआ है. देखकर ऐसा लगता है मानो अभी गिर पड़ेगा.
मंदिर के अंदर 40 बड़े भवन
इस मंदिर में 40 बड़े भवन और मंदिर हैं जिनको चट्टान में लकड़ी के फट्टों से बांधा गया है. मंदिर के अंदर सावधान होकर जाना पड़ता है. ज़रा सी भी लापरवाही जान के लिए ख़तरा साबित हो सकती है. मंदिर के भीतर चलने पर लकड़ियां आवाजें करती हैं. लेकिन अब तक किसी भी हादसे की खबर सामने नहीं आई है. मंदिर ज़मीन से 50 मीटर ऊपर होने के कारण यहां आने वाली बाढ़ से बचा रहता है. चारों ओर पहाड़ी से घिरे होने के कारण यहां धूप भी नहीं पहुंच पाती.
यदि आपका कभी चीन जाने का प्लान बने तो इस मंदिर को देखने ज़रूर जाएं. देखने पर लगेगा कि हवा के मामूली झोंके से यह मंदिर गिर जाएगा परंतु 1400 साल बाद भी इसकी संरचना पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा है.