नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में 29 जनवरी को भड़काऊ भाषण देने के मामले में गिरफ्तार किए गए डॉक्टर कफील खान को जमानत मिल गई है.
औपचारिकताएं पूरी होने के बाद वह मंगलवार को मथुरा जेल से रिहा होंगे. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट करुणा सिंह ने सोमवार को 60,000 रुपये के जमानती बॉन्ड पर कफील को जमानत दी. इसके साथ ही 60-60,000 के दो जमानती बॉन्ड भी लिए गए हैं.
समाचार एजेंसी के मुताबिक डॉ. कफील के वकील मोहम्मद इरफान गाजी ने संवाददाताओं से कहा, ‘कोर्ट को बताया गया कि खान को राजनीतिक दवाब में गलत तरीके से फंसाया गया. बहस के बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी.’ निलंबित डॉक्टर को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार किया था. कफील वहां सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लेने गए थे.
उन्हें अलीगढ़ में उनके खिलाफ 13 दिसंबर को सिविल लाइंस पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (धार्मिक आधार पर दो समुदायों में वैमनस्यता फैलाने) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया था. यह मामला एएमयू में उनके भाषण देने के बाद दर्ज किया गया.
एफआईआर के मुताबिक, छात्रों को संबोधित करते हुए कफील ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘मोटा भाई सबको हिंदू या मुस्लिम बनने के लिए बोल रहे हैं न कि इंसान बनने के लिए.
यह हमारे अस्तित्व की लड़ाई है. हमें यह लड़नी है.’ उल्लेखनीय है कि डॉ. कफिल का नाम 2017 में गोरखपुर के एक अस्पताल में हुई तमाम बच्चों की संदिग्ध मौतों के मामले में सुर्खियों में आया था. कफील पर अपने भाषण से शांतिपूर्ण माहौल को भड़काने और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का भी आरोप है.