भगवान श्रीराम की लीला में बिठूर का भी विशेष स्थान रहा है, रामायण से लेकर रामचरित मानस में ब्रह्मावर्त यानि बिठूर का उल्लेख मिलता है। महर्षि वाल्मीकि जी ने बिठूर में ही रामायण की रचना की थी। ऐसे में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में ब्रह्मावर्त की उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी। श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन में ब्रह्मावर्त (बिठूर) की माटी और गंगा जल भी अयोध्या जाएगा। यहां धरती का केंद्र बिंदु तो है ही, महर्षि वाल्मीकि, माता सीता व उनके बेटों लव-कुश की स्मृतियां भी जुड़ी हैं।
बिठूर में लिखे हैं नारद जी के सुनाए श्लोक
बिठूर का रामायण काल से अटूट नाता रहा है। यहीं वाल्मीकि आश्रम है, जहां सीता जी वनदेवी के रूप में रहा करती थीं। सीता रसोई में भोजन बनाती थीं। लव-कुश आश्रम है, तो ब्रह्मेश्वर मंदिर के पास स्थित खूंटा भी है, जिसके लिए कहा जाता है कि अश्वमेध यज्ञ के लिए छोड़ा घोड़ा लव-कुश ने इसी में बांधा था। नारद जी ने महर्षि वाल्मीकि को जो सौ श्लोक सुनाए थे, वह वर्तमान में भी यहां स्तंभ पर लिखे हैं। मान्यता है कि इन्हीं सौ श्लोक के जरिए रामायण लिखी गई। यही वजह है कि ब्रह्मावर्त की पावन माटी और यहां से गंगा जल लेकर विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष राजीव महाना अयोध्या में भूमिपूजन में जाएंगे।
कानपुर के सभी प्रमुख घाटों से लेंगे गंगाजल
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय सह मंत्री दीनदयाल गौड़ ने बताया कि इसके साथ कानपुर स्थित मैस्कर घाट, नानाराव पार्क, पनकी हनुमान मंदिर, खेरेश्वर महादेव मंदिर, आनंदेश्वर महादेव मंदिर, जागेश्वर महादेव मंदिर, सिद्धनाथ महादेव मंदिर, वनखंडेश्वर महादेव मंदिर, नागेश्वर महादेव मंदिर, नित्येश्वर महादेव मंदिर, श्रीरामलला मंदिर, चंद्रिका देवी मंदिर, बारादेवी मंदिर, तपेश्वरी देवी मंदिर से पवित्र माटी व जल भी ले जाएंगे।
चित्रकूट से भी जाएगी माटी और जल
प्रभु श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट के रामघाट, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला, कामतानाथ, भरत कूप, हनुमान धारा, धारकुंडी, फर्रुखाबाद के घटिया घाट, बरगदिया घाट, ढाई घाट, कन्नौज के देवी मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, बांदा के वामदेवेश्वर मंदिर, कालिंजर, महोबा में छोटी चंडिका, बड़ी चंडिका, श्रीनगर किला, रामजी हनुमानजी मंदिर, जालौन में जालौन माता बागरा, पचनद, मधुवन महाराज, झांसी का किला, ओरछा मंदिर, फतेहपुर के अश्वत्थामा मंदिर, राजा भगवंत महल, भृगु मुनि का आश्रम, बिंदकी में बावनी इमली, ललितपुर का दशावतार मंदिर की माटी व जल भी अयोध्या जाएगा।
विहिप कार्यकर्ताओं ने जुटाई पवित्र मिट्टी व जल
अयोध्या में पांच अगस्त को होने वाले श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के लिए विश्व हिंदू परिषद ने तैयारियां शुरू कर दी है। संगठन के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के शहर के प्रमुख गंगा घाटों से पावन मिट्टी व जल एकत्र किया। गोविंद नगर स्थित कार्यालय में कानपुर प्रांत के अंतर्गत आने वाली 21 जिला इकाइयों से पावन जल और मिट्टी एकत्रित कराई जा रही है। प्रांतीय सह मंत्री दीनदयाल गौड़ ने बताया कि बुधवार को बिठूर, आनंदेश्वर मंदिर, वनखंडेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, ड्योढी घाट, पनकी मंदिर, भूतेश्वर मंदिर, चंद्रिकादेवी मंदिर, रामलला मंदिर आदि स्थानों से पावन माटी व जल लिया गया है।