नई दिल्ली, कोरोना महामारी के ग्लोबल संकट के बावजूद भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने मात्र 88 दिनों में शुक्रवार को ऐतिहासिक पूर्ण मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पूरा कर लिया। इस एफटीए को कांप्रिहेंसिव इकोनमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीपा) का नाम दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का यह पहला पूर्ण एफटीए है। इसके इस वर्ष मई से लागू होने की उम्मीद की जा रही है।
दोनों देशों ने अगले पांच साल में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 100 अरब डालर (वर्तमान भाव पर 7.5 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2020-21 में दोनों देशों ने 43.3 अरब डालर (3.24 लाख करोड़ रुपये) का व्यापार किया। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है, इसलिए इस व्यापारिक समझौते को काफी अहम माना जा रहा है।
समझौते के बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि सीपा के तहत रूल्स ऑफ ओरिजिन का पूरा ख्याल रखा गया है ताकि उसका गलत उपयोग नहीं हो सके। यह काफी संतुलित समझौता है। इससे हम एक दूसरे के पूरक बन रहे हैं। मई के पहले सप्ताह में दोनों देशों के बीच कई व्यापारिक सीरीज पर बातचीत होनी है और उस दौरान इसे लागू किया जा सकता है।
भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, कनाडा और इजरायल, जैसे देशों के साथ भी व्यापारिक समझौते को लेकर बातचीत कर रहा है। वहीं, यूएई के आर्थिक मामलों के मंत्री अबदुल्ला बिन तौक अलमरी ने कहा कि दोनों देशों के बीच नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। पिछले 50 वर्षो से दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ता रहा है। इस बार डिजिटल ट्रेड को लेकर भी समझौता किया गया है।
भारत को यह मिलेगा
इस समझौते से जेम्स व ज्वैलरी, टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, स्पोर्ट्स गुड्स, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद फार्मा, मेडिकल उपकरण आटोमोबाइल्स व इंजीनियरिंग गुड्स, फल-सब्जी, चाय, काफी जैसे कृषि उत्पादों के निर्यात में भी भारी बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इन सभी का निर्यात अब यूएई को लगभग शून्य शुल्क पर होगा। ये सभी रोजगारपरक सेक्टर हैं और इनका निर्यात बढ़ने से भारत में रोजगार के नए अवसर निकलेंगे। भारतीय वस्तुओं के लिए अफ्रीका, खाड़ी देश व कुछ यूरोपीय देश का बाजार भी भारत के लिए खुल जाएगा जहां भारत का निर्यात अभी काफी कम है। यूएई के बाजार में अब किसी भी फार्मा उत्पाद को आवेदन करने के 90 दिनों के बाद जीरो ड्यूटी पर बिक्री की इजाजत मिल जाएगी। सेवा सेक्टर में आइटी, टूरिज्म को काफी लाभ मिलेगा।
यूएई को क्या मिलेगा
भारत ने यूएई को भी कई वस्तुओं के निर्यात में ड्यूटी में रियायत दी है। इनमें पेट्रोकेमिकल्स, मेटल जैसे सेक्टर प्रमुख है। इसके अलावा सेवा से जुड़े कई सेक्टर में यूएई को रियायत दी गई है। सरकार की तरफ से रियायत पाने वाली वस्तुओं की सूची जारी नहीं की गई है।