भारत सरकार की गलत नीतियों के चलते सीमाओं पर तनाव का माहौल: अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि देश एक ओर कोरोना महामारी से जूझ रहा है, तो दूसरी ओर सीमाओं पर भी तनाव से संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बीजेपी सरकार इन दिनों पूर्णतया असहाय दिख रही है, क्योंकि बीजेपी सरकार एकाधिकारी फैसले लेती है.

अखिलेश यादव ने कहा, पूर्वी लद्दाख में भारतीय सीमा क्षेत्र में एक महीने से चीनी सेनाओं द्वारा अतिक्रमण भारत की संप्रभुता पर चोट है. चीन विस्तारवादी नीतियों पर चल रहा है.

भारत की प्रगति से उसे जलन है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अलावा अक्साई चीन पर भी चीन की निगाह है. इधर, चीन ने भारत के प्रति जो आक्रामक रवैया अपनाया है उसमें एक मुख्य कारण व्यापार भी है.

उन्होंने कहा, कोरोना वायरस के विस्तार के बाद चीन से तमाम कंपनियां बाहर जाना चाहती हैं. भारत उनको आकर्षित कर रहा है. चीन के बने माल को लेकर भारत में बहिष्कार आंदोलन भी तेजी पकड़ रहा है. चीन की अर्थव्यवस्था का इस सबसे प्रभावित होना तय है.

अखिलेश ने कहा, भारत-नेपाल सीमा पर नेपाल पुलिस की ओर से अंधा-धुंध फायरिंग में एक भारतीय नागरिक की मौत और 3 के गंभीर रूप घायल होने की खबर है. मृत शख्स अपने खेत में काम कर रहा था.

सीतामढ़ी के लालबंदी बॉर्डर के पास नेपाल सशस्त्र पुलिस के जवानों की इस हरकत को समझना चाहिए. नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट भारत के खिलाफ नफरत और विरोध पैदा करने में लगे हैं.

वहां के प्रधानमंत्री तो संसद में एक नक्शा पास कराने के लिए ले आए जिसमें भारत के तीन इलाकों लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया. इसके बाद से नेपाल तल्ख तेवर दिखा रहा है.

अखिलेश ने कहा, विदेश नीति के मोर्चे पर भारत सरकार की विफलता नजर आने लगी है. भारत सरकार की गलत नीतियों के चलते सीमाओं पर तनाव है.

नेपाल जैसा मित्र राष्ट्र भी अब भारत को आंख दिखाने लगा है. भारत सरकार चीन और नेपाल के बदलते रवैये पर अब तक कड़ी प्रतिक्रिया देने से बचती दिखाई दे रही है. भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की दृष्टि से तत्काल कठोर कदम उठाने चाहिए.

आगे उन्होंने कहा, इस संबंध में समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया ने दिसंबर 1950 में नागपुर में समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में स्पष्ट चेतावनी दी थी कि हिमालयी प्रदेशों के बारे में केवल तटस्थता या उदासीनता की नीति अपनाई जाएगी तो सियासी रिक्ति प्रस्तुत होगी.

डॉ साहब ने ही पहली बार चीन की तिब्बत पर कुदृष्टि के मद्देनजर यह भविष्यवाणी भी की थी कि अब हिमालय के हिंदुस्तान का कुदरती संरक्षक न रहने का खतरा पैदा हुआ है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com