म्यांमार की नेता आंग सान सू और सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर वहां की सेना ने एक साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है. म्यांमार की सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए तख्तापलट कर दिया है और सत्ता अपने हाथ में ली है. पड़ोसी देश म्यांमार में हुए नए घटनाक्रम से भारत की चिंता भी बढ़ गई है. म्यांमार की नेता आंग सान सू के साथ भारत के बहुत अच्छे रिश्ते रहे हैं.
भारत के विदेश मंत्रालय ने पूरे घटनाक्रम पर कड़े शब्दों में बयान जारी किया है. बयान में कहा गया है, “हमने म्यांमार में हुए घटनाक्रम का संज्ञान ले लिया है. भारत म्यांमार में हमेशा से लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हस्तांतरण के पक्ष में रहा है. हमारा मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं कायम रहनी चाहिए. हम पूरे हालात पर करीब से नजर बनाए हुए हैं.”
सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता म्यो नुएंत ने न्यूज एजेंसी एएफपी से बताया, म्यांमार की नेता आंग सान सू की और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को सोमवार तड़के गिरफ्तार किया गया. पिछले कुछ दिनों से ही म्यांमार की सरकार और सेना के बीच तनाव चल रहा था और तख्तापलट की आशंका जताई जा रही थी.
म्यांमार की संसद में सेना के लिए एक-चौथाई सीटें आरक्षित हैं. आंग सान सू की पार्टी एनएलडी ने नवंबर महीने में हुए चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी जबकि सेना को बहुत कम सीटों पर जीत मिली थी. सेना को ये डर था कि सरकार में उसका प्रभाव कम हो सकता है. म्यांमार की सेना ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए कुछ दिन पहले ही तख्तापलट के संकेत दिए थे.
म्यांमार में हुए घटनाक्रम का भारत पर असर पड़ना तय है. भारत की म्यांमार के साथ 1600 किलोमीटर लंबी सीमा है. म्यांमार के साथ भारत की समुद्री सीमा भी लगती है. भारत म्यांमार की सेना को स्वदेशी पनडुब्बियों समेत कई रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करता है. भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पिछले साल अक्टूबर महीने में ही म्यांमार का दौरा किया था. इस दौरे में कोविड-19, वैक्सीन की आपूर्ति और तकनीक समेत कई विषयों पर बातचीत हुई थी. श्रृंगला ने एक बयान में कहा था कि म्यांमार भारत के लिए बहुत अहम है क्योंकि ये भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘ऐक्ट ईस्ट’ पॉलिसी दोनों का केंद्रबिंदु है.
इस दौरे में भारत-म्यांमार की रक्षा साझेदारी भी मजबूत करने की भी बात कही गई थी. इसके तहत, प्रत्यर्पण संधि, कैदियों की रिहाई समेत कई मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई थी. हाल ही में, भारत ने म्यांमार को कोविशील्ड वैक्सीन भी उपहार में दी है.
भारत म्यांमार को करीब 1.4 अरब डॉलर की आर्थिक मदद देता है. म्यांमार में सित्वे बंदरगाह का निर्माण भी भारत ने किया है जिसके इस साल शुरू होने की उम्मीद है. हालांकि, म्यांमार की सेना के साथ भारत के संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. म्यांमार में तख्तापलट होने के बाद अब भारत की कई योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है.