अगर समय रहते कैंसर की जांच कर इलाज हो जाए तो मरीजों की जान बचने की काफी संभावना रहती है, लेकिन एक अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत में 45 वर्ष और उससे अधिक आयु की 100 महिलाओं में से केवल महिला स्तन कैंसर की जांच कराती है।
बीएमसी पब्लिक हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित हुआ
यह अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं में मुंबई और वाराणसी स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर के शोधकर्ता भी शामिल हैं। यह अध्ययन बायोमेड सेंट्रल (बीएमसी) पब्लिक हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत में मैमोग्राफी की दर दुनियाभर की तुलना में बहुत कम हैं। अफ्रीकी देशों में मैमोग्राफी दर 4.5 प्रतिशत, कोरिया और जापान जैसे एशियाई देशों में 40-60 प्रतिशत, तथा यूरोप और अमेरिका में 84 प्रतिशत है। मैमोग्राफी एक्स-रे इमेजिंग टेस्ट है, जिससे स्तन की जांच की जाती है।
मैमोग्राफी की दर में काफी असमानता
यह स्तन कैंसर और दूसरे स्तन रोगों का पता लगाने में मदद करता है। देश में राज्यों के बीच मैमोग्राफी की दर में काफी असमानता है। केरल में जहां मैमोग्राफी दर सबसे अधिक 4.5 प्रतिशत है, वहीं नगालैंड में यह शून्य प्रतिशत दर्ज किया गया। आंध्र प्रदेश में मैमोग्राफी दर 0.1 प्रतिशत, उत्तराखंड में 0.27 प्रतिशत है। कर्नाटक में मैमोग्राफी दर 2.9 प्रतिशत है।
इस तरह किया अध्ययन
अध्ययन के लिए टीम ने 35 हजार से अधिक महिलाओं के डाटा का विश्लेषण किया। सर्वेक्षण 2017-18 में आयोजित किया गया था। विश्लेषण से पता चला कि 45 वर्ष और उससे अधिक आयु की भारतीय महिलाओं में मैमोग्राफी का दर 1.3 प्रतिशत था, 45-59 वर्ष की आयु में 1.7 प्रतिशत और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं में 0.9 प्रतिशत था।
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