भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम की नजदीकी ने ड्रैगन की चिंता बढ़ा दी है. हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने के लिए भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम एक अनौपचारिक गठजोड़ पर विचार कर रहे हैं. इससे बौखलाए चीन ने भारत समेत इन एशियाई देशों को ऐसे किसी अनौपचारिक गठबंधन बनाने के खिलाफ चेतावनी दी है.

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां बेहद अनिश्चित हैं. लिहाजा भारत समेत अन्य एशियाई देश अब ट्रंप युग में अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकते हैं. उनको चीन से निपटने के लिए एक गठबंधन बनाना चाहिए. चीनी विदेश मंत्राालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि उन्होंने इस रिपोर्ट को देखा है, लेकिन इसकी प्रमाणिकता पर संदेह है.
चुनयिंग ने कहा कि अगर यह रिपोर्ट सच है, तो यह दर्शाता है कि शीतयुद्ध की मानसिकता खत्म नहीं हुई है. दरअसल, करीब दो दिन पहले एक कार्यक्रम के दौरान ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने कहा था कि आधुनिक युग में हम अपने हितों की सुरक्षा के लिए शक्तिशाली देशों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं. हमको अपनी सुरक्षा और समृद्धि के लिए खुद कदम उठाना पडे़गा. इसकी जिम्मेदारी खुद अपने कंधों पर लेनी होगी. जब हम अपने विश्वसनीय भागीदारों और दोस्तों के साथ मिलकर आगे बढ़ते हैं, तो ज्यादा मजबूत होते हैं.
इससे पहले वन बेल्ट वन रोड परियोजना का भारत समेत कई देश विरोध कर रहे हैं, जिसको लेकर चीन बेहद चिंतित है. भारत इस परियोजना में अपनी शर्त पर शामिल होना चाहता है, लेकिन चीन अपनी स्वार्थ साधना में लीन है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने देश को बेरोजगारी और आर्थिक मंदी से बचाने के लिए इस परियोजना को पेश किया है. यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान से गुजर रही है, जिसका भारत कड़ा विरोध कर रहा है. भारत इसे अपना हिस्सा मानता है.
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