नई दिल्ली चीन ने एक बार फिर अपने ड्रैगन वाले रंग भारत को दिखाने शूरू कर दिए हैं। और अब ये देशभारत के सबसे अच्छे दोस्त की छीनने की तैयारी में लग गया है।
दरअसल, चीन ने नेपाल से कारोबार की खातिर तिब्बत के रास्ते नई परिवहन सेवा शुरू कर दी है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने शनिवार को कहा कि इस नई रेल और रोड परिवहन सेवा की शुरुआत शुक्रवार को की गई जब दर्जनों ट्रकों में 28 लाख डॉलर (तकरीबन 19 करोड़ रुपए) का सामान तिब्बत के सीमाई शहर गिरॉन्ग से नेपाल की राजधानी काठमांडो के लिए रवाना हुआ।
नेपाल में प्रचंड द्वारा प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद ऐसा पहली बार है जब इस हिमालयी देश को चीन से सामानों की खेप हासिल होगी। दरअसल, चीन के करीबी माने जाने वाले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस साल मार्च महीने में इस बाबत समझौता किया था। यह समझौता उन्होंने इसलिए किया था ताकि भारत पर नेपाल की निर्भरता कम हो सके। ओली की चीन से नजदीकी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारत की बजाय चीन के जरिए सामान मंगाना नेपाल के लिए काफी मुश्किल भरा है। ऐसा इसलिए कि कारोबार का रास्ता पहाड़ी और कठिन है जिससे यह कारोबार काफी महंगा है।
शिन्हुआ ने बताया कि इस कारोबारी कदम के जरिए चीन, नेपाल के साथ अपना कारोबार बढ़ाना चाहता है। दरअसल, चीन अपने बेल्ट ऐंड रोड (सिल्क रोड) मुहिम को आगे बढ़ा रहा है और नेपाल के साथ कारोबार इसी का एक हिस्सा है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस माल परिवहन सेवा के तहत एक मालगाड़ी चीन के ग्वांएडॉन्ग प्रांत की राजधानी ग्वांचू और तिब्बत के शिगेज के बीच 5,200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इस मालगाड़ी में जूते, कपड़े, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स और भवन निर्माण आदि के सामान हैं। इसके बाद आगे का 870 किलोमीटर का रास्ता ट्रकों से तय किया जायेगा। ट्रकों के जरिए इन सामानों को गिरॉन्ग से अंतिम पड़ाव काठमांडो तक पहुंचाया जाएगा।
चीन की योजना नेपाल तक एक रणनीतिक रेलवे लिंक स्थापित करने की भी है। दरअसल, ओली ने इस बारे में चीन से आग्रह किया था और चीन ने उसे स्वीकार कर लिया था। यह रेल लिंक तिब्बत के गिरॉन्ग से शुरू होकर नेपाल तक जा सकती है। नेपाल के अलावा चीन की योजना भारत और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों तक अपने रेल लिंक को बढ़ाने की है ताकि कारोबार में आसानी हो सके।