थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन का यह सर्वेक्षण कि यौन हिंसा के बढ़े खतरे के कारण भारत महिलाओं के लिए विश्व का सबसे खतरनाक देश बन गया है, कुल मिलाकर भारत की छवि खराब करने की साजिश ही प्रतीत होता है। सर्वेक्षण में भारत को महिलाओं को यौन हिंसा और सेक्स बाजारों में धकेले जाने के आधार पर पहले नंबर पर रखा गया है, जबकि इस सूची में पहले से ही दुनिया भर में बदनाम और महिलाओं के लिए असुरक्षित समझे जाने वाले देशों मसलन अफगानिस्तान, सीरिया, सोमालिया, सऊदी अरब और पाकिस्तान को भारत से बेहतर बताया गया है।
रिपोर्ट का झूठ
सर्वेक्षण में यह दर्शाने की भी कोशिश की गई है कि भारत में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध में लगातार इजाफा हो रहा है और महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध देश में प्रभावी कानून का अभाव है। लेकिन सच्चाई यह है कि भारत में महिलाओं की स्थिति कांगों, नाइजीरिया, सूडान, पाकिस्तान, इराक और सीरिया जैसे उन तमाम देशों से बेहतर है जहां आतंकी संगठनों और अराजक लोगों द्वारा संगठित तरीके से महिलाओं पर अत्याचार किया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि सर्वे रिपोर्ट में इन देशों को भारत से भी बेहतर बताया गया है।
क्या यह रेखांकित नहीं करता है कि भारत को सोची-समझी रणनीति के तहत बदनाम किया जा रहा है? गौर करें तो 2011 में इसी रिपोर्ट में भारत को सातवीं पायदान पर रखा गया था। तब इस सर्वे रिपोर्ट में कांगों, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सोमालिया को सबसे खतरनाक देश माना गया था। सवाल लाजिमी है कि क्या इन देशों में शांति स्थापित हो गई है या भारत में अराजकता बढ़ गई है? अगर नहीं तो फिर इस सर्वे रिपोर्ट में परोसे गए आंकड़ों पर कैसे विश्वास किया जाए? यह सच्चाई है कि 2011 की तुलना में आज भारत में महिलाओं की सुरक्षा बेहतर है और कानून अपना काम कर रहा है।