भारतीय नागरिक के संवैधानिक अधिकार
जनसँख्या की द्रिष्टि से भारत एक बहुत बड़ा देश हैं। यहाँ विभिन्न धर्म और सम्प्रदाय के 130 करोड़ लोग रहते हैं। भारत में आज भी जाति-धर्म के नाम पर झगड़े चल रहे हैं, लोग आपस में लड़ रहे हैं। इनमे से कुछ अमीर तो भारत को अपनी जागीर के रूप में देखते हैं, उनका समानता नाम से कुछ भी लेना देना नहीं होता। ऐसे में भारत का संविधान ही लोगों की मदद करने के लिए आगे आता है और समय-समय पर कानून की मदद से जांच-पड़ताल करता है कि कहीं कोई उपद्रवी तत्व इन लोगों के अधिकारों का हनन तो नहीं कर रहा।
आपको बता दें कि अगर अरब कन्ट्रीज की बात की जाए तो वहां लोगों पर ऐसे-ऐसे क़ानून लागू होते हैं कि लोग वहां की स्वतंत्रता को भी परतंत्रता का ही रूप मानते है।आज जहाँ दुनिया में अजब-गजब क़ानून बने हुए हैं वहीँ भारत इन सब से मुक्त है। यहाँ सिर्फ वही क़ानून चलते हैं जो लॉजिक के हिसाब से सही है। हिन्दुस्तान में जनता को भी उतनी ही स्वतंत्रता है जितनी यहाँ के महामहिम को है। इसलिए विश्व का सबसे बड़ा संविधान होने के बावजूद भी भारतीय संविधान लोगों के पक्ष में हैं। और आज हम बात करने वाले हैं भारतीय नागरिक के संवैधानिक अधिकार बारे जो उन्हें भारतीय संविधान से मिले हैं और जिनकी रक्षा खुद सुप्रीम कोर्ट करता है।