देश की टकसालों में सिक्कों का ऐसा ढेर लग गया है कि सिक्के बनाने का काम रोक दिया गया है। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि आरबीआई के कोषागार नोटबंदी के दौरान लोगों के घंटों-घंटों तक कतारों में लगकर जमा कराई गई करेंसी से भरे हुए हैं और इसके चलते आरबीआई टकसालों से कम सिक्के उठा रहा है। इसी के चलते सिक्के बनाना रोक दिया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की सिक्यॉरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पास मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा में टकसाल हैं। ईटी ने मुंबई और नोएडा यूनिट्स की ओर से स्टाफ को भेजे गए नोटिसों की प्रतियां देखी हैं, जिनमें सिक्का ढलाई रोकने की बात कही गई है।
हालांकि सिक्का ढलाई रोकने के कदम से कर्मचारी खुश नहीं हैं क्योंकि इससे उनके ओवरटाइम पर मार पड़ी है। मुंबई मिंट के नोटिस में कहा गया, ‘मिंट में अब 9 जनवरी से सामान्य वर्किंग आवर्स रहेंगे। अगले आदेश तक कोई ओवरटाइम नहीं होगा।’
नोएडा यूनिट ने कहा कि उसके स्टॉक में 2.53 अरब के सिक्के हैं और आरबीआई ने इन्हें लेना बंद कर दिया है। आरबीआई की 2016-17 की ऐनुअल रिपोर्ट के अनुसार, 2016-17 में सर्कुलेशन में रहने वाले कॉइंस की वैल्यू 14.7 पर्सेंट बढ़ी, जबकि सर्कुलेशन वॉल्यूम 8.5 पर्सेंट बढ़ा। सर्कुलेशन वॉल्यूम में 1 और 2 रुपये के सिक्कों का हिस्सा 69.2 पर्सेंट था, जबकि वैल्यू के लिहाज से इनका हिस्सा 44.8 पर्सेंट था। आरबीआई 5 और 10 रुपये के नोटों के बजाय इनके सिक्कों के उपयोग को बढ़ावा देता रहा है क्योंकि कागज के मुकाबले मेटल ज्यादा लंबा चल सकता है।