ब्लू व्हेल गेम को लेकर भले ही लोगों में खौफ का माहौल हो और ऐसी तमाम खबरें लगातार आती हों कि इस गेम की वजह से किसी बच्चे ने अपनी जान गंवा दी, लेकिन सरकार की जांच में पता चला है कि सच ठीक इसके उलट है.
एक सवाल के उत्तर में गृह मंत्रालय ने लोकसभा को जानकारी दी है कि ब्लू व्हेल गेम के मामले में जांच के लिए बनाई गई कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम यानी CERT की जांच में ब्लू व्हेल गेम से किसी बच्चे की मौत के बारे में पुष्टि नहीं हो पाई है.
लोकसभा को जानकारी देते हुए गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने बताया कि ब्लू व्हेल गेम के मामले में तमाम शिकायतें मिलने के बाद इसके लिए एक कमेटी बनाई गई थी जिसके चेयरमैन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के डायरेक्टर जनरल हैं. इस कमेटी से कहा गया था कि देश के अलग-अलग राज्यों से ब्लू व्हेल गेम की वजह से आत्महत्या के तमाम मामलों की गहराई से जांच की जाए.
लेकिन इस कमेटी ने जब जांच की और जिन बच्चों के आत्महत्या की बात कही गई थी उनके कंप्यूटर, मोबाइल फोन, इंटरनेट, कॉल के रिकॉर्ड और सोशल मीडिया पर उनकी गतिविधियों के बारे में जांच की गई तो ऐसे कोई सबूत नहीं मिले जिससे यह कहा जा सके कि यह लोग ब्लू व्हेल गेम के शिकार हुए थे. हंसराज अहीर के मुताबिक किसी मामले में भी ब्लू व्हेल गेम की वजह से जान गंवाने की पुष्टि नहीं हो पाई.
CERT का गठन मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन ने किया था और इसमें 7 मेंबर थे. इस कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसके मुताबिक जिन मामलों में ब्लू व्हेल की वजह से आत्महत्या की कोशिश की बात कही गई थी उनमें से किसी में भी सबूतों के आधार पर इसकी पुष्टि नहीं हो पाई.
कहा जाता है कि ब्लू व्हेल गेम को रूस में एक सजायाफ्ता व्यक्ति ने बनाया था और इसे खेलने वाले लोगों को खुद को नुकसान पहुंचाने वाले 50 काम करने को कहा जाता है और जिसका अंत अपनी जान लेना होता है.
पिछले साल अक्टूबर में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीवी नरसिम्हा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि देश में ब्लू व्हेल गेम से संबंधित 28 मामले सामने आए हैं.