ब्रिटिश संसद में उठा कश्मीरी पंडितों का मुद्दा

 ब्रिटिश संसद के तीन सदस्यों ने एक प्रस्ताव पेश कर भारत सरकार से कश्मीरी पंडित समुदाय को ”बहुप्रतीक्षित न्याय” देने की मांग की है। ब्रिटिश सांसदों ने ब्रिटेन सरकार से भी नरसंहार के पीडि़तों के लिए प्रतिबद्धता बढ़ाने का आग्रह किया है। यह प्रस्ताव 19 जनवरी से पहले आया है, जिसे कश्मीरी पंडितों द्वारा ‘पलायन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

19 जनवरी से पहले आया प्रस्ताव

वर्ष 1990 में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों की धमकियों और हत्याओं के कारण कश्मीर घाटी से अपने समुदाय के पलायन की याद में कश्मीरी पंडित यह दिन पलायन दिवस के रूप में मनाते हैं।

ब्रिटिश संसद की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, कंजर्वेटिव सांसद बाब ब्लैकमैन, डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी के नेता जिम शैनन और लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने 15 जनवरी को 2023-24 सत्र के लिए प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव को ‘जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की 34वीं बरसी’ नाम दिया गया है।

प्रस्ताव पर तीन सदस्यों का हस्ताक्षर

इस प्रस्ताव पर तीन सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं। इसमें अभी तक कोई संशोधन प्रस्तुत नहीं किया गया है।प्रस्ताव में लिखा है-यह सदन जनवरी 1990 में सीमा पार इस्लामी आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा जम्मू-कश्मीर की निर्दोष आबादी पर समन्वित हमलों की 34वीं बरसी गहरे दुख और निराशा के साथ मनाता है। यह सदन सुनियोजित नरसंहार में मारे गए, दुष्कर्म किए गए, घायल हुए और विस्थापित हुए लोगों के परिवार और उनके मित्रों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता है।

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