इनफर्टिलिटी की समस्या पुरुषों में ज्यादा देखी जा रही है। इनफर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं की समस्या नहीं रह गई है क्योंकि 50 प्रतिशत दंपत्तियों में पुरुष इनफर्टिलिटी के मामले भी देखे गए हैं। हर तीन में से एक व्यक्ति इनफर्टिलिटी की समस्या से पीड़ित रहता है।
निदान और विश्लेषण पद्धतियों की उपलब्धता के अभाव में इनफर्टिलिटी का वास्तविक कारण पता नहीं चल पाता था लेकिन स्टेम सेल टेक्नोलॉजी (दवा ) की मदद से इसका कारण जानने और इलाज करना संभव हो गया है। ऐसा देखा गया है कि पुरुष नपुंसकता ही दंपति के नि:संतान रहने का एक बड़ा कारण है।
आमतौर पर इस तरह की समस्या कम संख्या में और कमजोर स्पर्म (शुक्राणु) के कारण होती है जबकि गर्भधारण के लिए स्पर्म की ही जरूरत पड़ती है।
ऐसे मामलों में गर्भाशय (फेलोपियन ट्यूब) तक स्पर्म पहुंच नहीं पाता है और कई प्रयास के बावजूद महिला गर्भधारण करने में असमर्थ रह जाती है। पुरुष इनफर्टिलिटी के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं, जिसमें धूम्रपान और अधिक शराब पीने की लत मुख्य कारण हैं।
स्टेरॉयड से भी इनफर्टिलिटी का खतरा होता है? अधिकांश मामलों में सुदृढ़ शारीरिक संरचना के लिए लड़के कम उम्र से ही स्टेरॉयड और दवाइयां लेने लगते हैं जिस कारण भविष्य में उन्हें इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना करना पड़ जाता है।
क्षमता से ज्यादा एक्सरसाइज और डाइटिंग के लिए भूखे रहने जैसी आदतें भी पुरुष फर्टिलिटी को प्रभावित करने का मुख्य कारण हैं। युवाओं में तेजी से बढ़ते तनाव और अवसाद के साथ-साथ प्रदूषण और निष्क्रिय लाइफस्टाइल के कारण एनीमिया की समस्या भी पुरुष इनफर्टिलिटी का कारण बनती है।
क्या इसका इलाज संभव है? स्टेम सेल टेक्नोलॉजी के तहत लेबोरेट्री में मरीज के स्टेम सेल्स का प्रयोग करके स्पर्म का निर्माण किया जाता है। फिर इसे इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया के जरिए महिला पार्टनर के अंडाशय में प्रत्यारोपित करते हुए अंडाणु में फर्टिलाइज किया जाता है।