इलाहाबाद (जेएऩएन)। बैैंक अपने ग्राहकों को रुपये भले ही न दे पा रहे हों, लेकिन आम तस्वीर यही है कि बैैंक कर्मचारी इन दिनों काम के जबरदस्त बोझ तले दबे हैैं। कहा जा रहा है कि उनके पास अभी बैैंक के दूसरे काम करने का समय ही नहीं है, लेकिन ऐसे में कोई 40 लाख रुपये के सिक्के जमा करने बैैंक पहुंच जाए तो…! एक फैक्ट्री मालिक ने यही किया। बैैंक ने मना किया तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने अब प्रतिदिन पांच हजार रुपये के सिक्के जमा करने के साथ इसकी भी जांच करने का आदेश दिया है कि इतने सिक्के एकत्र कैसे हुए।
एक फूड फैक्ट्री के मालिक संदीप आहूजा ने न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल करते हुए कहा कि उनकी फैक्ट्री का खाता स्टेट बैंक और इलाहाबाद बैंक में है। वह अपने खाते में 40 लाख रुपये जमा करना चाहते हैैं, जो एक, दो, पांच और दस रुपये के सिक्कों की शक्ल में हैं। आहूजा ने बताया कि दोनों ही बैंक सिक्के जमा करने से इन्कार कर रहे हैं। याचिका पर सुनवाई के दौरान स्टेट बैंक के अधिवक्ता सुदीप सेठ और इलाहाबाद बैैंक के अधिवक्ता विजय शंकर ने पेश होकर कहा कि नोटबंदी के मद्देनजर फिलहाल बैैंकों पर वर्कलोड ज्यादा है, लेकिन एक जनवरी के बाद बैंक प्रतिदिन शाम तीन से चार बजे तक पांच हजार रुपये के सिक्के जमा करने को तैयार हैैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने संदीप आहूजा की याचिका पर सुनवाई करते हुए बैंक को आदेश दिया कि एक जनवरी के बाद प्रतिदिन एक, दो, पांच व दस रुपये के सिक्के पांच-पांच हजार रुपये करके स्वीकार करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने आरबीआई व आयकर विभाग को भी इस मसले से अवगत कराने को कहा है ताकि कि वे देखें कि किसी के पास इतनी बड़ी मात्रा में सिक्के कैसे एकत्र हो गए।
बैंक ने नहीं जमा किये 40 लाख के सिक्के तो ग्राहक पहुंच गया हाईकोर्ट
एक फैक्ट्री मालिक ने 40 लाख रुपये के सिक्के जमा करने बैैंक पहुंच गया तो…! बैैंक ने मना किया तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने प्रतिदिन पांच हजार के सिक्के जमा करने को कहा है।