आपने कभी थोड़ी देर तक चक्कर आने या घबराहट अथवा धड़कन तेज होने और उसके बाद बेहोशी महसूस की है? अगर ऐसा हुआ है, तो क्या कारण पता नहीं चला? अकसर ऐसी स्थिति में यह समझा जाता है कि ऐसा कमजोरी की अस्थायी स्थिति में होता है, जो अनुपयुक्त आहार, कम सोने, थकान आदि से होता है। हालांकि कुछेक मामलों में यह भले ही सही हो, पर बेहोश होने का मामला गंभीर हो सकता है। बेहोश होकर गिरने से ना सिर्फ घातक चोट लग सकती है, बल्कि यह किसी मेडिकल स्थिति का मुख्य लक्षण भी हो सकता है।  
किसे प्रभावित करती है बेहोशी 
मेडिकल मामलों में बेहोश होने को सिनकोप कहा जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन सिनकोप को अस्थायी बेहोशी कहता है, जो मस्तिष्क में खून का प्रवाह अपर्याप्त होने से होता है। ऐसा तब होता है, जब हृदय मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन पंप करना छोड़ देता है। नतीजतन रक्तचाप कम हो जाता है।
अचानक होती है यह समस्या
सिनकोप की शुरुआत अचानक होती है और रिकवरी भी तकरीबन अचानक ही होती है। इसके शुरुआत में भिन्न कारणों जैसे पसीना आना, गर्मी लगना, शरीर में पानी कम होना (डीहाइड्रेशन), थकान या शरीर की स्थिति बदलने पर पैरों में खून जमा हो जाने से भी ऐसा होता है। वैसे तो किसी भी आयु का व्यक्ति सिनकोप का शिकार हो सकता है, पर 60 साल से ऊपर के लोगों में यह ज्यादा आम है। ऐसे लोगों में इससे मौत का जोखिम भी ज्यादा होता है।
बुजुर्गों के मुकाबले कम उम्र के लोगों मं कारण अलग होते हैं। कोरोनरी आर्टरी डिजीज, कन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स, वेंट्रीकुलर डिसफंक्शन, हार्ट अटैक झेल चुके और जेनेटिक म्युटेशन वाले लोगों को यह जोखिम ज्यादा हो सकता है।
शुरुआती चेतावनी के संकेत 
त्वचा पीली हो जाती है।
धड़कन गड़बड़ होने लगती है।
कमजोरी महसूस होने लगती है।
मितली आती है।
पसीना अधिक आता है।
सांस तेज चलती है।
बेहोश होना घातक क्यों
आम मान्यता है कि बेहोशी न्यूरोलॉजिकल कारणों से ही होती है। इसके उलट वास्तविक कारण अकसर कार्डियक प्रकृति का होता है। बिना कारण बेहोश होने और चक्कर आने का प्राथमिक कारण हृदय की स्थिति से जुड़ा हो सकता है, जिसके आप शिकार हो सकते हैं। सिनकोप हृदय की सबसे आम गड़बड़ी के लिए प्राथमिक लक्षण है। इसे हृदय का असामान्य रिद्म कहा जाता है।
कुछ मामलों में हृदय के असामान्य रिद्म का एकमात्र चेतावनी संकेत है बेहोश होना। इसकी वजह से अचानक कार्डियक अरेस्ट और मौत तक हो सकती है। खासकर उन लोगों के मामले में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जिन्हें पहले से हृदय की बीमारी है। इसलिए सिनकोप की पहचान और उसका कारण जानना बहुत महत्वपूर्ण है। उपचार समय पर नहीं हो, तो यह घातक हो सकता है।
इसका पता कैसे चलेगा
अचानक बेहोश होने के किसी भी मामले का मूल्यांकन सिर्फ प्रशिक्षित डॉक्टर से ही कराना चाहिए। सिनकोप का पता मरीज के बेहोश होने के इतिहास के आधार पर चलता है। आम तरीका यही है कि शारीरिक परीक्षण किया जाए और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ईसीजी) की जाए। इसके लिए खून में शुगर का स्तर और ब्लड काउंट की भी निगरानी की जा सकती है।
समस्या की गंभीरता का आकलन करने के लिए और व्यापक कार्डियक आकलन की आवश्यकता हो सकती है। सिनकोप का प्रबंध जीवनशैली में बदलाव, दवाओं और थेरेपी से किया जा सकता है। हालांकि यह सब चिकित्सीय स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है।
मूल्यांकन की शुरुआत मेडिकल हिस्ट्री की समीक्षा और शारीरिक जांच से होती है। आपके डॉक्टर आपसे लक्षणों, सिनकोप एपिसोड आदि से संबंधित विस्तृत सवाल पूछते हैं। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ईसीजी), ब्लड शुगर लेवल और प्रयोगशाला जांच भी की जा सकती है। इन परीक्षणों के नतीजे के आधार पर एक व्यापक कार्डियक जांच की आवश्यकता हो सकती है, ताकि समस्या की गंभीरता का सही आकलन किया जा सके।
क्या हैं उपचार 
सिनकोप का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है और मूल्यांकन तथा जांच का नतीजा क्या रहा। सिनकोप के मरीजों को घातक हो सकने वाली गतिविधियों जैसे गाड़ी चलाने, कुछ खास तरह के काम या मनोरंजक गतिविधियों के संबंध में चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। नॉन-कार्डियक सिनकोप के ज्यादातर रूपों के लिए तत्काल उपचार में व्यक्ति को जमीन पर सीधा लिटा देना  चाहिए, ताकि होश आ सके।
इन बातों पर दें ध्यान 
कार्डियक सिनकोप का उपचार कार्डियक स्थिति को ठीक करने पर आधारित है और इसमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं।
दवाएं
पेसमेकर
रेडियोफ्रीक्वेंसी कैथेटर एबलेशन
वैलवुलर सर्जरी
कॉरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट सर्जरी
एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग
जरूरी हो सकती हैं ये जांच 
लेटकर और खड़े होकर ब्लड प्रेशर की रिकॉर्डिंग
हार्ट मोनिटर
इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (आईएलआर)
टिल्ट टेबल टेस्टिंग
याद रखने वाली बातें 
बेहोश होने का रिकॉर्ड रखें।
अगर आपको सीने में दर्द होता है, सांस फूलती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
जब आपके घर में हृदय की बीमारी का इतिहास हो, तो यह और जरूरी हो जाता है।
अगर बेहोश होने जैसा लगे, तो बैठ या लेट जाएं। संभव हो, तो व्यक्ति के पैरों को सिर से ऊपर रखें, ताकि मस्तिष्क में खून का प्रवाह बेहतर हो।
बेहोश होने की किसी भी घटना को नजरअंदाज न करें।
बेहोशी हो सकती है घातक
50 साल के पेशेवर राजेश कुमार शारीरिक तौर पर बेहद सक्रिय थे। रोज 15 घंटे काम करते थे। एक दिन दोपहर में अचानक बेहोश हो गए, तो उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। ईसीजी करने पर पाया गया कि नतीजे सामान्य थे। हालांकि कुछ दिन बाद वे फिर बेहोश हो गए। उन्होंने एक हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाया, तो उन्हें लंबे समय तक ईसीजी पर रखा गया। ईसीजी की रिकॉर्डिंग से पता चला कि उनके हृदय की धड़कन अनियमित है। आम बोलचाल में इसे एरीथीमिया कहा जाता है। मरीज के हृदय की धड़कन धीमी थी, जिसे वह झेल पा रहा था।
हालांकि कुछ मरीजों में हृदय की धड़कन तेज हो तो मौत हो सकती है।
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