बीजेपी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है एक दर्जन सीटों पर…

लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन, हाल के विधानसभा चुनावों में हार व अपने बुजुर्ग नेताओं को चुनाव मैदान से बाहर रखने के फैसले से भाजपा को उम्मीदवारों के चयन में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके चलते दिल्ली की सभी सीटों, मध्य प्रदेश की बड़ी सीटों व उत्तर प्रदेश की एक सीट का मामला अभी भी उलझा हुआ है। 

भाजपा ने सोमवार तक 420 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। उसे अभी लगभग एक दर्जन और सीटों के लिए अपने उम्मीदवार तय करना बाकी है। इनमें सबसे ज्यादा पेंच दिल्ली में है, जहां भाजपा, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के गठबंधन का इंतजार कर रही है। इसके अलावा वह मध्य प्रदेश में पांच प्रमुख सीटों के लिए भी समय ले रही है। उत्तर प्रदेश में राजग की एक सीट घोसी भी समीकरणों में फंसी हुई है। 
 

दिल्ली में विपक्ष का गठबंधन का मामला सुलट जाता तो भाजपा अभी तक अपने उम्मीदवार घोषित कर देती। कांग्रेस और ‘आप’ के एक साथ आने पर राज्य के समीकरण इन दोनों दलों के अलग-अलग लड़ने की स्थिति से एकदम अलग होंगे। ऐसे में उम्मीदवारों का चयन भी अलग तरह से होगा। भाजपा ने दोनों स्थितियों के लिए नाम तय कर रखे हैं, लेकिन उनकी घोषणा कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के फैसले के बाद ही लिया जाएगा।

दिल्ली में भाजपा विधानसभा चुनावों में देख चुकी है कि कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के अलग-अलग लड़ने के बावजूद कांग्रेस का अधिकांश वोट आम आदमी पार्टी को चला गया था जिससे कांग्रेस तो साफ हुई ही, भाजपा भी मात्र तीन सीटें जीत सकी थी। जबकि ‘आप’ ने 67 सीटें जीत ली थीं।
 

मध्य प्रदेश में भाजपा ने बेहद मामूली अंतर से कांग्रेस से राज्य में सत्ता गंवाई थी। वह लोकसभा में इसकी भरपाई करनी चाहती है। राज्य की 29 सीटों में से भाजपा ने 24 सीटों के लिए उम्मीदवार तय कर दिये हैं। पांच सीटों भोपाल, इंदौर, सागर, विदिशा व गुना के लिए उम्मीदवार तय किए जाने हैं। गुना कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है। यहां पर प्रभावी उम्मीदवार खोज रही है।

भोपाल में कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मैदान में आने से भाजपा को भी नया मजबूत चेहरा उतारना पड़ सकता है। इसके लिए उमा भारती व साध्वी प्रज्ञा के नाम चर्चा में हैं। इंदौर में सुमित्रा महाजन व विदिशा में सुषमा स्वराज के चुनाव न लड़ने से भाजपा को मजबूत उम्मीदवारों की तलाश है। सागर में भी मौजूदा सांसद के न लड़ने से मामला फंसा हुआ है। दरअसल भाजपा यहां पर ऐसे उम्मीदवार लाना चाहती है ताकि भितरघात न हो। 

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