बीच और हिल स्टेशन से अलग इस बार छुट्टियों में रांची आएं…

रांची ऐसी ही है। जो एक बार आ जाता है, वहभूल नहीं पाता। यह शहर जितना अनूठा है, उतनी ही मस्त है इसकी चाल। रांची बीसवीं सदी के ब्रिटिशकालीन भारत में कोलकाता, पटना और कटक के बीच एक महत्वपूर्ण शहर था। ब्रिटिश दौर में यह पटना के बाद बिहार-ओडिशा की दूसरी राजधानी थी। गर्मी में तो पूरा प्रशासनिक अमला ही पटना से उठकर यहां चला आता था। तो घूमने-फिरने के लिए हिल स्टेशन और बीच ही नहीं, रांची आकर भी काफी कुछ देख सकते हैं। जानेंगे यहां के खास आकर्षणों के बारे में…

1. रातू किला

रांची से 16 किमी. दूर स्थित इस किले का निर्माण महाराजा उदय प्रताप ने 1870 में शुरू कराया था। कहीं इसका उल्लेख 1901 मिलता है। महाराजा प्रताप उदय नाथ शाहदेव ने इस गढ़ का निर्माण कलकत्ते के अंग्रेज कंपनी के ठेकेदार से कराया था। प्रताप उदयनाथ शाहदेव अपने वंश के 61वें राजा था। रातू गढ़ 22 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें एक सौ तीन कमरे हैं। मुख्य द्वार के ठीक सामने दुर्गा मंडप है। उसके सामने बलि देने का स्थान बना हुआ है।

2. हंडा मस्जिद

अपर बाजार में महावीर चौक के पास यह मस्जिद स्थित है। नजरबंदी में मौलाना अबुल कलाम आजाद यहीं पर हर शुक्रवार को तकरीर किया करते थे। 5 अप्रैल, 1916 से लेकर वे यहां 1919 तक रहे। रांची गोशाला में गोपाष्टमी के दिन अपना अंतिम भाषण देकर वे यहां से चले गए। यहीं पर उन्होंने कुरान का तरजुमा यानी अनुवाद भी किया।यहीं पर कंधार से एक व्यक्ति पैदल चलकर उनसे मिलने रांची आया था।

3. वॉर मेमोरियल

बूटी मोड़ स्थित वॉर सेनेटरी म्यूजियम शहीदों की याद में बनाया गया है। इसका उद्घाटन 23 अक्टूबर, 2007 को तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने किया था। यहां हर शनिवार लाइट एवं साउंड सिस्टम के जरिए पहाडि़यां युद्ध से लेकर द्वितीय विश्र्वयुद्ध और कारगिल युद्ध की कहानी 45 मिनट में दिखाई-सुनाई जाती है। झारखंड की वीर गाथा भी। अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की धीर-गंभीर आवाज में। यहां 24 घंटेलहराता तिरंगा भी है। सैनिकों की वीर गाथाएं हैं। झारखंड के उन शहीदों को भीयहां सम्मान दिया गया है, जिन्होंने आजादी के लिए अपना बलिदान दिया।

4. वॉर सेमेट्री

शहर के बीच में कांटाटोली के पास वार सेमेट्री है। इस वार सेमेट्री में 1939 से1945 तक चले द्वितीय विश्र्वयुद्ध के सैनिकों के स्मारक हैं। भारत में कुल 9 स्मारकों में एक झारखंड के रांची में है। इसकी देखभाल कॉमनवेल्थ वार ग्रेव्स कमीशन द्वारा किया जाता है। यहां भारतीय मूल के 50 ज्ञात तथा एक अज्ञात सैनिक की समाधि है जबकि अन्य ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड तथा यूके के हैं। यहां सभी सैनिकों का उनके धर्म के अनुसार स्मारक पर प्रतीक चिह्न बना हुआ है।

5. भगवान जगन्नाथ का मंदिर

रांची से दक्षिण-पश्चिम में 10 किमी. दूर बड़कागढ़ क्षेत्र में 250 फीट की ऊंची पहाड़ी पर जगन्नाथ मंदिर है। मंदिर की ऊंचाई करीब सौ फीट है। बड़कागढ़ के ठाकुर महाराजा रामशाही के चौथे पुत्र ठाकुर ऐनीनाथ शाहदेव ने 25 दिसंबर, 1691 में इसका निर्माण करवाया था। मंदिर का जो वर्तमान रूप दिखाई देता है, उसका निर्माण1991 में कराया गया।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com