पुलिस ने बताया कि मामले की जांच जारी है। परिजनों की ओर से अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है, लेकिन आवेदन मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नालंदा जिले के नूरसराय थाना क्षेत्र के डोईया गांव में एक दर्दनाक हादसे में महिला उप सरपंच की मौत हो गई। धान कुटाई के दौरान मशीन के फीते में हाथ फंसने से गंभीर रूप से घायल हुईं पुष्पा देवी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उनकी मौत के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है।
धान कुटाई के दौरान हुआ हादसा
जानकारी के मुताबिक, मृतका की पहचान डोईया गांव निवासी मोहन प्रसाद की पत्नी पुष्पा देवी (42) के रूप में हुई है। वह गांव की उप सरपंच भी थीं। घटना गुरुवार की है, जब पुष्पा देवी धान कुटाई के लिए गांव में ही एक मशीन पर काम कर रही थीं। इसी दौरान अचानक उनका बांया हाथ मशीन के घूमते हुए फीते में फंस गया। तेज गति से चल रही मशीन के कारण उनका हाथ बुरी तरह जख्मी हो गया, जिससे वह दर्द से तड़पने लगीं। हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने आनन-फानन में उन्हें पास के निजी क्लिनिक में भर्ती कराया।
अस्पताल पहुंचने से पहले हुई मौत
परिजनों के मुताबिक, प्राथमिक इलाज के बाद चिकित्सकों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया। जब तक परिजन बेहतर इलाज के लिए उन्हें दूसरे क्लिनिक ले जाते, वहां डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे। इसी बीच उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी, शरीर शिथिल पड़ गया और हालत चिंताजनक हो गई। घबराए परिजन तुरंत बिहार शरीफ सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस खबर के बाद परिवार में कोहराम मच गया और पूरे गांव में मातम पसर गया।
गांव में गमगीन माहौल
महिला उप सरपंच पुष्पा देवी की अचानक हुई मौत से गांव में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार के सदस्यों का रो-रो कर बुरा हाल है। उनके चीत्कार से पूरा गांव गमगीन हो गया। गांव के लोग भी स्तब्ध हैं, क्योंकि वह पंचायत की एक सक्रिय और समाजसेवी महिला थीं।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा
घटना की सूचना मिलते ही नूरसराय थाना अध्यक्ष रजनीश कुमार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए बिहार शरीफ सदर अस्पताल भेज दिया। थाना अध्यक्ष ने बताया कि मामले की जांच जारी है। परिजनों की ओर से अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है, लेकिन आवेदन मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य व्यवस्था
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर कर दिया है। समय पर उचित इलाज नहीं मिलने के कारण पुष्पा देवी की जान चली गई। अगर तत्काल इलाज मिल जाता तो शायद उनकी जान बच सकती थी।