बिहार के वोटरों को लुभाने के लिए भोजपुरी तो कहीं मैथिली में प्रचार करने की तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं और पार्टियां चुनाव प्रचार के लिए नए-नए तरीके निकाल रही है. वोटरों को लुभाने के लिए कहीं भोजपुरी तो कहीं मैथिली में प्रचार करने की तैयारी जोरों पर है. कोरोना काल में उम्मीदवार भले ही हर गली हर मोहल्ले में चुनाव प्रचार न कर पाएं, लेकिन उनकी आवाज घर-घर में गूंजे इसकी तैयारी चल रही है.

पार्टी से लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए उम्मीदवार क्षेत्रीय भाषा में अपनी आवाज रिकॉर्ड करवा रहे हैं. दो से तीन मिनट का ऑडियो या वीडियो बनाया जा रहा है. पटना के कई स्टूडियों में वीडियो रिकॉर्डिंग हो रही है.

पहली बार चुनाव में डिजिटल प्रचार के लिए इतना जोर दिया जा रहा है. आरएस स्टूडियो बाकरगंज के सुशील कुमार बताते हैं कि जिनकी आवाज सही है उनका ऑडियो आसानी से बन जाता है कई उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी आवाज भारी है. उनके ऑडियो में एडिटिंग भी की जाती है.

अभी तक डिजिटल चुनाव प्रचार पटना और जिला मुख्यालयों में होता था. लेकिन अब छोटे शहरों में भी उम्मीदवार डिजिटल चुनाव प्रचार पर ध्यान दे रहे हैं. ऑडियो-वीडियो बनाए जा रहे हैं. चुनाव में जनता तक उम्मीदवार अपने वादे पहुंचा सकें इसके लिए पार्टियों के मेनोफेस्टो का भी वीडियो बनाया जाएगा. जिसमें उम्मीदवार की आवाज भी दी जाएगी.

अभी तक पार्टी कार्यालय में इसकी हार्ड कॉपी रिलीज की जाती थी. इस बार सॉफ्ट कॉपी का वीडियो बनाया जाएगा. वीडियो में सामने चेहरा और पीछे म्यूजिक साथ में वादों की लंबी लाइन दिखेगी. हर वादे के साथ उम्मीदवार की फोटो रहेगी. साथ ही उनकी आवाज पीछे से आती रहेगी.

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