गुणात्मक शिक्षा के लिहाज से फिसड्डी स्कूलों में बदलाव को लेकर अब विशेष मुहिम चलेगी। शिक्षा विभाग ने इस पर जल्द काम शुरू करने का फैसला लिया है। फिलहाल इसे लेकर सबसे ज्यादा जोर बच्चों में सीखने की क्षमता (लर्निंग आउटकम) को बढ़ाने को लेकर होगा। वैसे भी नीति आयोग की हाल ही में जारी हुई रिपोर्ट में ज्यादातर राज्यों के पिछडऩे की बड़ी वजह लर्निंग आउटकम का खराब प्रदर्शन ही था। नीति आयोग की रपट पर शिक्षा विभाग हरकत में आया है और सभी जिलों के अफसरों को स्कूलों में जाकर पढ़ाई की गुणवत्ता को जांचने-परखने और कमियों को सुधारने का टॉस्क सौंपा है।
काबिल शिक्षक बनेंगे रोल मॉडल
शिक्षा विभाग के एक अफसर ने बताया कि लर्निंग आउटकम में पिछडऩे की बड़ी वजह स्कूलों में पढ़ाई पर ध्यान न देना है। वैसे मौजूदा समय में ज्यादातर स्कूलों की जो हालत है, उनमें मिड-डे मील से लेकर मुफ्त में ड्रेस, किताबें आदि पर ही सबसे ज्यादा जोर है। पढ़ाई लिखाई की ओर ध्यान नहीं है। ऐसे में शिक्षकों का ज्यादातर समय ऐसी ही गतिविधियों में निकल जाता है। वैसे भी स्कूली शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा शिक्षकों में योग्यता की कमी भी है। अब शिक्षा विभाग ने तय किया है कि जो शिक्षक शिक्षण कार्य में ज्यादा काबिल हैं और शिक्षण कार्य में रुचि रखते हैं, उन्हें ‘रोल मॉडल’ के रूप में छात्रों के बीच पेश किया जाए, ताकि ऐसे शिक्षक से अन्य शिक्षकों को प्रेरणा मिल सके।
कक्षाओं में शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य
शिक्षा विभाग का पूरा फोकस स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत बनाने और शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने पर है। इसके तहत पहली कोशिश शिक्षकों की कमी को खत्म करने और मौजूदा शिक्षकों को नए सिरे से प्रशिक्षण देने को लेकर है। साथ ही स्कूलों से शिक्षकों की तैनाती को लेकर एक फार्मूला तैयार किया जा रहा है, ताकि सभी स्कूलों को बच्चों के एनरोलमेंट के लिहाज से शिक्षक मिल सके। वैसे भी शिक्षा का अधिकार कानून में तय प्रावधान के तहत प्रत्येक 25 छात्र पर एक शिक्षक होने चाहिए।
नीति आयोग के परफार्मेंस इंडेक्स पर होगा अमल
शिक्षा विभाग के मुताबिक स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार को लेकर जो बदलाव की कवायद शुरू की गई है इसमें नीति आयोग के परफार्मेंस इंडेक्स में शामिल उन सभी 30 बिंदुओं को भी आधार बनाया गया है, जिसमें एनरोलमेंट, ड्राप आउट, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूलों की सुरक्षा, पेयजल आदि विषयों को रखा गया है। गौरतलब है कि नीति आयोग के स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स (एसईक्यूूआई) में बिहार एवं उत्तर प्रदेश सहित झारखंड, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब आदि राज्यों का प्रदर्शन बेहद खराब था।