बिहार की राजधानी पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बिहार कैडर के वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज कर दिया। संजीव हंस और गुलाब यादव पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
न्यायाधीश संदीप कुमार ने हंस की याचिका को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश पारित किया। हंस ने पिछले वर्ष पटना जिले के रूपसपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी थी। शिकायतकर्ता राज्य के औरंगाबाद जिले की रहने वाली है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत करती है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि हंस और उसके कथित सहयोगी गुलाब यादव ने उसके साथ दुष्कर्म किया। गुलाब यादव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व विधायक हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में धन शोधन के एक मामले में हंस और यादव के परिसरों पर छापा मारा था। हंस को बिजली विभाग में उनकी नियुक्ति से हटा दिया गया है और यादव फिलहाल राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं हैं। अदालत ने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता और “काफी देरी के बाद” दर्ज कराई गई प्राथमिकी में ‘शिकायतकर्ता द्वारा बताई गई कहानी झूठी और मनगढ़ंत’ प्रतीत होती है।