बिना मांगें पूरी हुए शिक्षा कर्मियों की हड़ताल, बर्खास्तगी रद्द करने का निर्देश जारी

बिना मांगें पूरी हुए शिक्षा कर्मियों की हड़ताल, बर्खास्तगी रद्द करने का निर्देश जारी

छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों की हड़ताल सोमवार देर रात टूट गई। राजधानी के सर्किट हाउस में रात डेढ़ बजे शिक्षाकर्मियों के बड़े नेता और जिला प्रशासन के आला अधिकारी ने इसका ऐलान किया। इससे पहले सोमवार को राज्य सरकार ने शिक्षाकर्मियों के बड़े नेताओं को बर्खास्त करने का मन बना लिया था। हालांकि बिना किसी समझौते के तुरंत हड़ताल टूटने के पीछे की वजहों का खुलासा नहीं हो पाया है। 
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़: एक ही कमरे में पढ़ रहे पहली से पांचवीं तक के छात्र, टीचर भी सिर्फ एकबिना मांगें पूरी हुए शिक्षा कर्मियों की हड़ताल, बर्खास्तगी रद्द करने का निर्देश जारीछत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जिला प्रशासन की ओर से एडीएम हरवंश मिरी और शिक्षाकर्मियों के शीर्ष नेताओं ने घोषणा की कि हड़ताल खत्म हो गई है और मंगलवार से सभी आंदोलनकारी शिक्षाकर्मी स्कूल लौट जाएंगे। शिक्षाकर्मियों के नेताओं ने रायपुर में जमा सभी साथियों से वापस अपने स्कूल जाने की अपील भी की।

रमन सिंह सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि शिक्षाकर्मियों की मांगों को नहीं माना जा सकता। फिर भी शिक्षाकर्मी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए थे। इसलिए ये सस्पेंस बरकरार है कि बिना कोई मांग माने हड़ताल कैसे खत्म हो गई। सरकार ने सभी जिला पंचायत के सीईओ को शिक्षाकर्मियों को बर्खास्त करने से मना कर दिया है और इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए हैं। 

शासन स्तर पर होंगे फैसले : एडीएम

शिक्षाकर्मी संघ के नेता वीरेंद्र दुबे, केदार जैन, संजय शर्मा ने कहा है कि उन्होंने छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए हड़ताल खत्म की है। वहीं रायपुर के एडीएम हरवंश मिरी के मुताबिक वार्ता के दौरान नेताओं ने सरकार के फैसले पर सहमति जताई है और बाकी के फैसले शासन स्तर पर होंगे। 

शिक्षा कर्मियों को पंचायत निकाय मानदंड के आधार पर नियुक्त करते हैं और वे स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का एक बड़ा हिस्सा हैं। अनुबंध पर काम कर रहे ये शिक्षाकर्मी शिक्षकों के खाली पड़े पदों के लिए अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही इनकी मांग है कि समान कार्य के लिए समान वेतन मिले और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए। 

अपनी मांगों के समर्थन में शिक्षाकर्मी 20 नवंबर से हड़ताल पर थे। शुक्रवार की आधी रात को प्रस्तावित विरोध रैली से पहले ही सरकार ने 24,000 शिक्षाकर्मियों को हिरासत में ले लिया जिसमें सिर्फ रायपुर से ही 2,343 हिरासत में लिए गए। राजधानी में शनिवार, रविवार और सोमवार को कर्फ्यू जैसे हालात थे। सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि शिक्षाकर्मियों की नौकरी नियमित नहीं की जा सकती।  

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