रमन सिंह सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि शिक्षाकर्मियों की मांगों को नहीं माना जा सकता। फिर भी शिक्षाकर्मी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए थे। इसलिए ये सस्पेंस बरकरार है कि बिना कोई मांग माने हड़ताल कैसे खत्म हो गई। सरकार ने सभी जिला पंचायत के सीईओ को शिक्षाकर्मियों को बर्खास्त करने से मना कर दिया है और इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
शिक्षा कर्मियों को पंचायत निकाय मानदंड के आधार पर नियुक्त करते हैं और वे स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का एक बड़ा हिस्सा हैं। अनुबंध पर काम कर रहे ये शिक्षाकर्मी शिक्षकों के खाली पड़े पदों के लिए अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही इनकी मांग है कि समान कार्य के लिए समान वेतन मिले और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।
अपनी मांगों के समर्थन में शिक्षाकर्मी 20 नवंबर से हड़ताल पर थे। शुक्रवार की आधी रात को प्रस्तावित विरोध रैली से पहले ही सरकार ने 24,000 शिक्षाकर्मियों को हिरासत में ले लिया जिसमें सिर्फ रायपुर से ही 2,343 हिरासत में लिए गए। राजधानी में शनिवार, रविवार और सोमवार को कर्फ्यू जैसे हालात थे। सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि शिक्षाकर्मियों की नौकरी नियमित नहीं की जा सकती।