हाईकोर्ट में दायर याचिका में बिक्रम मजीठिया ने कहा है कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध की साजिश है, जिसे मौजूदा सरकार की ओर से उन्हें बदनाम और परेशान करने के उद्देश्य से अंजाम दिया गया।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार को शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की मोहाली जिला अदालत के रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान पंजाब के महाधिवक्ता (एजी) ने दलील दी कि मजीठिया ने मोहाली अदालत के 26 जून के आदेशों को चुनौती दी है, जो अब अप्रासंगिक हो चुके हैं, क्योंकि उसके बाद नए समन जारी हो चुके हैं।
इसके बाद अदालत ने मजीठिया के वकील से संशोधित याचिका दायर करने को कहा। इसके बाद अदालत ने सुनवाई 8 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
याचिका में मजीठिया ने कहा है कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध की साजिश है, जिसे मौजूदा सरकार की ओर से उन्हें बदनाम और परेशान करने के उद्देश्य से अंजाम दिया गया।
उन्होंने इसे राजनीतिक बदला और उत्पीड़न बताया। मजीठिया ने कहा कि 25 जून को मोहाली स्थित विजिलेंस ब्यूरो थाने में दर्ज एफआईआर न केवल अवैध है, बल्कि उसी दिन सुबह उनके आवास से की गई गिरफ्तारी भी तय कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें सुबह 9:00 से 11:20 बजे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया, जबकि उनकी औपचारिक गिरफ्तारी 11:20 बजे दिखाई गई। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(2) और बीएनएसएस की धारा 187 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसी की ओर से दायर की गई रिमांड अर्जी में कोई ठोस या तात्कालिक गिरफ्तारी का कारण नहीं है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal