नई दिल्ली: एक बेकरी कंपनी में काम करने वाले शख्स को कंपनी को 43,81,495 रुपये देने पड़ेंगे। जी दरअसल कंपनी शख्स को बार-बार हाथ धोने के लिए मजबूर करती थी और इससे उसे त्वचा संबंधी बीमारी हो गई। अब कर्मचारी ने कंपनी के लिए खिलाफ बीमारी की वजह से मुकदमा दायर किया है और इस मुकदमे को वह जीत भी गया है। इसी के चलते अब उसे 43,81,495 रुपये मिलेंगे। अब कंपनी को ये पैसा उस कर्मचारी को देना होगा।
जी दरअसल इस मामले में मिली जानकारी के तहत 59 साल के सुसान रॉबिन्सन ने वेस्ट यॉर्कशायर के वेकफील्ड में एक फैक्ट्री स्पीडीबेक में काम किया, जो बड़ी सुपरमार्केट के लिए मफिन, कपकेक और अन्य बेक किए गए सामान बनाती है। कंपनी ने उन्हें काम करने के लिए दिन में लगभग 20 बार अपने हाथ धोने के लिए मजबूर किया गया और इसी के चलते उनके हाथ में त्वचा से संबंधी बीमारी हो गई। जब इस बीमारी को लेकर उन्होंने कंपनी से शिकायत की तो रॉबिन्सन की दलीलों को उसके नियोक्ता द्वारा नजरअंदाज किया गया। इसके बाद उनके हाथ में फफोले हो गए और उससे खून बहने लगा।
वहीँ करीब छह महीने के भीतर रॉबिन्सन ने देखा कि उसके हाथ लाल और खुजलीदार हो रहे थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दिन में 17 बार धोने के लिए कहा गया। वहीँ दूसरी तरफ पोंटेफ्रैक्ट अस्पताल में जांच होने के बाद यह पुष्टि हुई की उनके हाथ की त्वचा के रासायनिक संपर्क में बार बार आने की वजह से उन्हें एक प्रकार का एक्जिमा हो गया था। जब रॉबिन्सन को यह पता चला तो उन्होंने कंपनी से हाथ की सुरक्षा के लिए खुद कई सुझाव दिए जिसमें बैरियर क्रीम और पतले दस्ताने शामिल थे।
हालाँकि पके हुए भोजन के दूषित होने की आशंका के कारण कंपनी नहीं मानी। अंत में रॉबिन्सन ने अपने संघ बेकर्स फूड एंड अलाइड वर्कर्स यूनियन (BFAWU), के साथ ही थॉम्पसन सॉलिसिटर का रुख किया और दोनों संगठनों ने उसे मुआवजे में कंपनी के खिलाफ 50,000 यूरो जीतने में मदद की।