देहरादून : आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी संगठन की मजबूती के मद्देनजर पुराने कद्दावर कांग्रेसियों की घर वापसी कराने की कांग्रेस पार्टी की मुहिम के बाद अब प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा पर भी इसके लिए दबाव बढ़ गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटों पर बागियों का सामना करना पड़ा था, जिनमें कई पूर्व विधायक भी शामिल थे। 
पिछले लोस चुनाव में मोदी लहर में यहां की पांच सीटें भाजपा की झोली में गई थीं। फिर जीत का यह क्रम विधानसभा चुनाव में जारी रहा और 70 में से 57 सीटें भाजपा ने हासिल कीं। अब जबकि लोकसभा चुनाव में सालभर से भी कम समय रह गया है तो भाजपा अपनी जीत का क्रम लोकसभा चुनाव में भी जारी रखना चाहती है।
इस कड़ी में विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले कुछ पूर्व विधायकों के साथ ही अन्य दलों के कद्दावर नेताओं और निर्दल चुनाव लड़ ठीकठाक वोट बटोरने वालों पर पार्टी की नजर है। इनकी पार्टी में वापसी कराकर लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति और मजबूत करने की भाजपा की मंशा है।
यही नहीं, निष्कासन का दंश झेल रहे कुछ पूर्व विधायकों के साथ ही विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में उतरने वाले बागियों और अन्य नेताओं में घरवापसी की छटपटाहट भी है। हाल में देहरादून के सहस्रधारा स्थित एक रिसॉर्ट में हुई इन नेताओं की बैठक में नया संगठन बनाने की बात को पार्टी में घर वापसी के दबाव के रूप में देखा गया।
हालांकि, भाजपा अध्यक्ष के जून के दौरे में मिले निर्देशों के बाद क्षेत्र विशेष में जनाधार वाले नेताओं की भाजपा में घर वापसी के लिए प्रदेश नेतृत्व भी सक्रिय हो गया है। इस सिलसिले में मानक तय करने के साथ शर्तां पर मंथन चल रहा है, लेकिन बात अभी पड़ताल तक ही सिमटी है। इस बीच कांग्रेस में हुई पुराने नेताओं की घर वापसी के क्रम के बाद भाजपा में भी ऐसा करने को लेकर दबाव बढ़ गया है।
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