बांबे हाई कोर्ट ने पुणे कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। निचली अदालत ने महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार वकील सुरेंद्र गाडलिंग एवं कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने के लिए पुलिस को और समय दिया था।
पुणे कोर्ट ने पुलिस को आरोपपत्र दायर करने के लिए और समय दिया था
जस्टिस मृदुला भास्कर की एकल पीठ ने कहा कि पुणे कोर्ट द्वारा आरोपपत्र दायर करने के लिए पुलिस को और 90 दिनों का समय दिया जाना और गाडलिंग एवं अन्य की हिरासत बढ़ाना गैर-कानूनी है। न्यायाधीश के आदेश से गाडलिंग एवं अन्य कार्यकर्ता के जमानत पर रिहा होने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही न्यायाधीश ने अपने आदेश को एक नवंबर तक संचालन में आने पर रोक लगा दी है।
पुणे पुलिस ने गाडलिंग के साथ नागपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग प्रमुख शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल निवासी रोना विल्सन को इसी वर्ष जून में गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने सभी के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। सभी पर माओवादियों के साथ संपर्क रखने का आरोप है। पिछले वर्ष 31 दिसंबर को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव युद्ध की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम के सिलसिले में सभी को गिरफ्तार किया गया था।